अखिलेश यादव ने जिस नीति से यूपी जीता था, वही हथियार अब इस राज्य में इस्तेमाल के लिए तैयार: तेजस्वी यादव

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जातिगत समीकरण साधने की तैयारी में तेजस्वी यादव: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एमवाई (मुस्लिम+यादव) पर सीटें साझा कर शानदार सोशल इंजीनियरिंग का उदाहरण पेश किया है। अब राजद भी अपने संगठनात्मक ढांचे में कुछ ऐसा ही प्रयोग करती नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को अपेक्षित जीत नहीं मिली। लोकसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में एमवाय से ऊपर उठकर जातियों को प्राथमिकता देकर राजद ने अपना वोट बैंक जरूर बढ़ाया है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि ब्लॉक और पंचायत स्तर पर एमवाई के अलावा राजद के नए नेता तेजस्वी यादव द्वारा चुना गया नया गुट बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अच्छा प्रदर्शन करेगा। आइए जानते हैं कौन से नए वर्ग हैं जिन पर राजद मेहरबान है।

प्रखंड और जिला स्तर पर राजद के संगठन में नया रंग

राजद के पूरे संगठन में ए टू जेड का प्रभाव देखा जा रहा है। लेकिन यह लालू यादव की एमवाई (मुस्लिम यादव) से बिल्कुल अलग तो नहीं है लेकिन सामाजिक न्याय के दर्शन पर एक कदम आगे जरूर बढ़ता दिख रहा है। राजद के नये नेतृत्व का फार्मूला खास तौर पर प्रखंड और जिला अध्यक्ष पद पर जरूर दिख रहा है। इसकी वजह राजद का अति पिछड़ा वर्ग को 28 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयोग है।

बिहार में अति पिछड़ा वर्ग का वोट मूल रूप से तीन भागों में बंटा हुआ है। यह देश के पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम नीतीश कुमार और पूर्व सीएम लालू यादव के बीच साझा है। पीएम मोदी से पहले पिछड़ा वर्ग राजद के समर्थन में ज्यादा रहा है। अब उन्हीं वोटों को दोबारा हासिल करने के लिए राजद ने संगठन में अपनी हिस्सेदारी 28 फीसदी तय कर दी है।

राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि देश में किसी भी पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में राजद जैसी आरक्षण व्यवस्था नहीं है। यह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की सामाजिक न्याय की पार्टी है। यहां सभी धर्मों और जातियों की आस्था है। इस नए फॉर्मूले से मौजूदा लोकसभा चुनाव में राजद को 4 और महागठबंधन को 9 सीटें मिली हैं लेकिन वोट प्रतिशत भी बढ़ा है। जेडीयू को जहां 3।7% और बीजेपी को 3।5% का नुकसान हुआ, वहीं राजद के वोटों में करीब 8% का इजाफा हुआ। लेकिन इसका खास असर बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा, जहां जीत-हार बहुत कम वोटों से होती है।

जहां पिछड़ा और शोषित वर्ग है

राजद से मिली जानकारी के मुताबिक राजद की कुल 50 संगठनात्मक जिला इकाइयां आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं। जिन 17 जिलों में अध्यक्ष का पद अति पिछड़े लोगों के लिए आरक्षित है उनमें वैशाली, मुजफ्फरपुर महानगर, मधुबनी, दरभंगा महानगर, समस्तीपुर, बेगुसराय महानगर, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया, पूर्णिया महानगर, मुंगेर, भागलपुर महानगर, बिहाशरीफ महानगर, जहानाबाद शामिल हैं। पटना महानगर।

वहीं नवगछिया, अरवल, कैमूर, नालंदा, अररिया, सीवान और बगहा एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं। ब्लॉक और जिलों में अध्यक्ष पद 45 फीसदी अति पिछड़ा और एससी-एसटी के लिए आरक्षित है। अगर कोई जाति या समुदाय अभी भी राजद में जगह से वंचित है तो उन्हें उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए मनोनीत सदस्यों का प्रावधान किया गया है। इसके तहत प्राथमिक इकाई को छोड़कर 25% महिलाओं और अल्पसंख्यकों, 30% एससी-एसटी और शेष 20% गैर-प्रतिनिधित्व वाले वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

 

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