नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव नतीजों में जहां एनडीए को बहुमत मिला, वहीं बीजेपी को बड़ा झटका लगा। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को सिर्फ 17 सीटें मिलीं। मुंबई में छह में से केवल दो सीटों पर महायुति के उम्मीदवार जीते। इनमें से एक हैं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और दूसरे हैं शिंदे गुट के रवींद्र वायकर! इस चुनाव में रवींद्र वायकर ने महज 48 वोटों से जीत हासिल की है। 2024 के लोकसभा चुनाव में यह जीत देश में सबसे कम है। अब यह साफ हो गया है कि रवींद्र वायकर की जीत में पोस्टल वोट अहम थे।
सबसे दिलचस्प सीट है मुंबई नॉर्थ वेस्ट
इस साल के चुनाव में मुंबई की छह सीटों में से सबसे दिलचस्प सीट मुंबई नॉर्थ वेस्ट है। चुनाव के लिए उम्मीदवार की घोषणा से कुछ दिन पहले, ठाकरे समूह से शिंदे समूह में शामिल हुए रवींद्र वायकर को उत्तर-पश्चिम मुंबई में महायुति द्वारा उम्मीदवार घोषित किया गया था। शिंदे गुट में शामिल हुए संजय निरुपम और उसी समय शिंदे गुट में शामिल हुए अभिनेता गोविंदा, दोनों इस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। लेकिन आख़िरकार एकनाथ शिंदे ने रवीन्द्र वायकर की उम्मीदवारी की घोषणा कर दी।
मतगणना के आखिरी दौर में नाटकीय घटनाक्रम!
उत्तर पश्चिम मुंबई निर्वाचन क्षेत्र में मतगणना के अंतिम चरण में बड़ा नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला। आखिरी 26वें राउंड में अमोल कीर्तिकर को भारी मतों से विजेता घोषित किया गया। इसके बाद ठाकरे गुट के कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। लेकिन चूंकि बहुमत का अंतर बहुत कम था, इसलिए रवींद्र वायकर ने दोबारा वोटों की गिनती की मांग की। इसके मुताबिक चुनाव आयोग ने 9 लाख 51 हजार 582 वोट गिने।
अमोल कीर्तिकर बस एक और वोट!
ईवीएम मशीनों पर वोटों की दोबारा गिनती के बाद अमोल कीर्तिकर को रवींद्र वायकर से सिर्फ एक वोट ज्यादा मिला। इसके बाद डाक मतों की गिनती की गई। इस क्षेत्र में कुल 49 वोट डाक से भेजे गये हैं। इन वोटों में से वाइकर को 48 वोट मिले। अत: कुल मतों में से रवीन्द्र वायकर को 48 मतों की विजयी बढ़त मिली। इस संबंध में इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट दी है।
अवैध वोटों की जाती है जांच
इसके बाद अमान्य किये गये पोस्टल वोटों की भी जांच की गयी। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक, बहुमत का अंतर बहुत कम होने पर ऐसे अवैध वोटों की भी दोबारा जांच की जाती है। इस क्रम में बताया गया कि अवैध घोषित किये गये सभी वोट अभी भी अवैध हैं। इसलिए, रवींद्र वायकर को विजेता घोषित किया गया। वैकर को 4 लाख 52 हजार 644 वोट मिले जबकि कीर्तिकर को 4 लाख 52 हजार 596 वोट मिले।
जितेंद्र आव्हा का आरोप!
इसी बीच जीतेंद्र अवाडा ने अमोल कीर्तिकर पर हराने का गंभीर आरोप लगाया है। “इस प्रकार प्रशासन ने एक हारे हुए उम्मीदवार को जीतने में मदद की। जब गिनती शुरू हुई तो सबसे पहले डाक मतों की गिनती की गई। इसके बाद ईवीएम पर वोटों की गिनती की गई। लेकिन नतीजों के अंत में दोबारा गिनती में सबसे पहले ईवीएम के वोटों की गिनती की गई और आखिर में पोस्टल वोटों की गिनती की गई। इसलिए 2000 वोटों से विजेता घोषित होने के बाद भी अमोल कीर्तिकर 48 वोटों से हार गए। इस तरह चुनावों में धांधली होती है”, आव्हा ने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया।