मेरे प्यार को लगी मेंरी ही दोस्त की नजर

मेरा नाम मानवी है। मैं बरेली शहर की रहने वाली हूं। मेरे घर में मेरे मम्मी-पापा और मेरी बहन रहते हैं। मेरे पापा एक सरकारी अधिकारी हैं। मेरा एक छोटी सी खुशहाल परिवार है। संघर्ष क्या है? यह हमें पता ही नहीं था, हम आपस में बहुत खुश रहते थे। मैं और मेरी बहन पूजा एक साथ एक ही कॉलेज में पढ़ाई करते थे।

पढ़ाई पूरी होने के बाद मेरी बहन पूजा दिल्ली चली गई, जॉब के लिए कुछ समय बाद पूजा ने मुझे भी दिल्ली बुलाया जॉब करने के लिए, मेरे बार-बार मना करने पर भी मेरे मम्मी-पापा के समझाने पर मैं भी दिल्ली चली गई, मैं एक शांत स्वभाव की और कम बोलने वाली लड़की थी। जिसकी पूरी दुनिया उसका अपना परिवार ही था। दिल्ली शहर में जाकर रहना मेरे लिए बहुत मुश्किल था, पर ऑफिस ज्वाइन करने के बाद मैं धीरे-धीरे वहां रहना पसंद करने लगी थी, नए-नए दोस्त बन रहे थे, जिनके साथ घूमना फिरना, मूवी देखना, शॉपिंग करना, अब मुझे अच्छा लगने लगा था।

मैं विनय सर और बारिश…

धीरे-धीरे 6 से 7 महीने बीत गए थे। ऑफिस में मेरी लगभग सबसे दोस्ती हो गई थी। पूजा भी मुझे मेरे हर एक काम में मेरी मदद करती थी। एक दिन मैं ऑफिस से निकल ही रही थी, की बहुत तेज से बारिश होने लगी तब मेरे सीनियर विनय सर ने मुझसे बोला कि मानवी आप आ जाओ मैं आपको आज ड्रॉप कर देता हूं। पहले तो मैंने उन्हें मना कर दिया लेकिन विनय सर ने दोबारा बोला बारिश पूरी रात होगी तो क्या तुम पूरी रात यहीं पर इंतजार करती रहोगी। उसके बाद में विनय सर के साथ गाड़ी से अपने घर चली गई, रास्ते में हम दोनों के बीच कुछ बातचीत हुई, और मुझे उनसे बात करके बहुत अच्छा महसूस हुआ मुझे पता चला की विनय सर एक मिडिल क्लास फैमिली के रहने वाले लड़के हैं। जिनके ऊपर उनके मां-बाप छोटे भाई और छोटे बहन की जिम्मेदारियां हैं।

मेरी मुलाकातें विनय सर से कब बदल गई प्यार में…

उन्होंने अपने लाइफ में बहुत संघर्ष किया है। अपने एजुकेशन और कॉन्फिडेंस के बदौलत आज वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं। मैं उनसे मिलकर बहुत प्रेरित हूं, धीरे-धीरे ऑफिस में और ऑफिस के बाहर मेरी मुलाकात विनय सर से बढ़ने लगी, हमारी मुलाकातें कब दोस्ती और उसके बाद कब धीरे-धीरे प्यार में बदल गई, मुझे पता ही नहीं चला, अब मैं लगभग रोज ही विनय सर से मिलती उनके दोस्तों से मिलती हूं। उनके परिवार से मिलती, विनय सर का परिवार भी बहुत मिलनसार था। वह मुझे अपने बच्चों की तरह ही प्यार करने लगे थे। विनय सर के दोस्त तो मानो मेरे ही दोस्त हों उनमें से भी एक सबसे खास दोस्त बनी मेरी जिसका नाम प्रियंका था।

7 साल की दोस्ती

प्रियंका एक बोल्ड और कॉन्फिडेंट लड़की थी, उसके हस्बैंड शहर से बाहर रहते थे। वह भी मेरी तरह दिल्ली में अकेले ही रहती थी। तो मैं और विनय ज्यादातर समय उसी के साथ घूमते फिरते थे। धीरे-धीरे मेरे और विनय के रिश्ते को 7 साल हो रहे थे। विनय जी की फैमिली में और मेरी फैमिली में हमारी शादी की बातचीत होने लगी थी। मैंने और विनय जी ने अपनी-अपने परिवारों में एक दूसरे से शादी करने के लिए बहुत जोर दिया मैं क्षत्रिय परिवार से थी। और विनय जी यादव इस वजह से मेरी फैमिली तो तैयार नहीं हुई पर मेरे माता-पिता ने बस मुझे इतना कहा कि हम तुम्हें शादी में आशीर्वाद देने जरूर आएंगे पर विनय जी का पूरा परिवार शादी के लिए तैयार हो गया था।

शादी जैसा अटूट बंधन

आखिरकार वह दिन आ ही गया जब मैं और विनय जी शादी जैसे अटूट बंधन में बंध गए, मेरी दोस्त प्रियंका ने भी शादी में बहुत मदद की प्रियंका तो मानो मेरा परिवार बनकर ही उस शादी में सम्मिलित हुई थी। मेरे पक्ष का सारी जिम्मेदारी प्रियंका ने ही पूरी की थी। मैं बहुत खुश थी, मुझे लगता था, कि दुनिया की सारी खुशियां मिल गई हैं। मुझे विनय जैसे पति मिल गए, इतना खुशहाल परिवार मिल गया। धीरे-धीरे हमारी शादी को एक महीना बीत गया पर विनय जी अब मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करते थे। वह बदल रहे थे, विनय जी हर बात पर मुझे गुस्सा करते मुझसे लड़ाई करने लगते थे।

एक दिन तो बातों—बातों में उन्होंने बोल दिया कि तुम्हारे पिता एक सरकारी अधिकारी है। तुम एक अमीर परिवार की लड़की हो और सिर्फ दो ही बहने हो मुझे लगा था। कि तुम्हारे पिताजी हमारी शादी में कुछ ना कुछ दहेज जरूर लेकर आएंगे पर वह तो खाली हाथ भिखारी की तरह आ गए, मुझे समझ में नहीं आता मैं तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का क्या करूं मैंने जो उन्हें इंगेजमेंट रिंग पहनाई थी। उन्होंने वह इंगेजमेंट रिंग उतार कर मेरे हाथों पर रख दिया मैंने उस दिन कुछ नहीं बोला धीरे-धीरे वक्त बीतने लगा, और विनय जी मुझसे और बतमीजी करने लगे इस बार तो विनय जी ने मेरे ऊपर हाथ में उठा दिया था।

मेरे प्यार को लगी मेंरी ही दोस्त की नजर

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, कि अचानक ऐसा क्या हो गया है। मेरे 7 साल का रिश्ता अचानक ऐसे कैसे खराब हो गया। क्या विनय जी ने मुझसे शादी सिर्फ और सिर्फ दहेज के लिए की थी क्योंकि मैं एक अमीर परिवार की बेटी हूं एक दिन विनय जी नहा रहे थे। और उनके फोन पर लगातार मैसेज आ रहे थे मैंने मैसेज चेक किया तो उनके और प्रियंका के मैसेज देखकर तो मेरे पैरों तले जमीन ही खिसक गई मुझे पता चला कि विनय और प्रियंका एक दूसरे को पसंद करते हैं। और उनका काफी समय से अफेयर चल रहा है।

उन दोनों लोगों ने मिलकर प्लान कर कर मुझसे शादी करने का फैसला लिया था। मुझे समझ में ही नहीं आ रहा था, मैं क्या करूं कहां जाऊं किससे कहूं मेरा परिवार पहले ही मुझसे गुस्सा था। क्योंकि मैंने अपनी पसंद से शादी की थी। जब प्रियंका के साथ अफेयर वाली बात मैंने विनय जी से पूछी, तो उन्होंने गुस्से में मुझे धकेल दिया और घर छोड़ कर चले गए अब हम दोनों एक ही शहर में रहते हैं। पर अलग-अलग रहते हैं। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। कि मेरी ही दोस्त और मेरे ही पति मुझे इतना बड़ा धोखा देंगे।

लेखिका:— अनामिका त्रिपाठी

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