लोकसभा चुनाव परिणाम 2024: यदि मतदाताओं को किसी निर्वाचन क्षेत्र में कोई उम्मीदवार पसंद नहीं है, तो वे ईवीएम पर ‘नोटा’ बटन दबाते हैं। नोटा का मतलब उपरोक्त में से कोई नहीं है। इसका मतलब है कि वह व्यक्ति किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहता।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ गए हैं और राज्य में जल्द ही बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार दोबारा आएगी और मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद पर बैठेंगे। अगर एनडीएच सरकार आती है तो भी बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिलेगी, कई राज्यों में उसकी काफी जमीन खिसक गई है, इस चुनाव में कई लोगों ने ‘नोटा’ का बटन दबाया। कई सीटों पर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और इंडिया अलायंस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली, जबकि कई जगहों पर बीएसपी तीसरे नंबर पर दिखी। इस चुनाव में कई लोगों ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना। ऐसे कई निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां ‘नोटा’ को निर्दलीय उम्मीदवारों से अधिक वोट मिले और ‘नोटा’ विकल्प चौथे स्थान पर रहा।
यदि मतदाताओं को किसी निर्वाचन क्षेत्र में कोई उम्मीदवार पसंद नहीं है, तो वे ईवीएम पर ‘नोटा’ बटन दबाते हैं। नोटा का मतलब उपरोक्त में से कोई नहीं है। इसका मतलब है कि वह व्यक्ति किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहता। इस समय देखा गया कि उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर बीजेपी, भारत अघाड़ी और बीएसपी के उम्मीदवारों के बाद नोटा को काफी तरजीह मिली। दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे, वहां भी ‘नोटा’ बटन दबाने वालों की संख्या अच्छी-खासी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नोटा चौथा विकल्प था। वाराणसी में नरेंद्र मोदी समेत कुल 7 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी को 6 लाख 12 हजार 970 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भारत अघाड़ी के अजय राय को 4 लाख 60 हजार 457 वोट और बीएसपी के अतहर जमाल लारी को 33 हजार 766 वोट मिले। चौथे स्थान पर नोटा रहा। यहां 8 हजार 478 लोगों ने नोट का बटन दबाया।
लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर ‘नोटा’ चौथे स्थान पर रहा था।
- राजनाथ सिंह की लखनऊ सीट पर भी कई लोगों ने नोट का बटन दबाया। यहां नोट को 7 हजार 350 वोट मिले।
- गौतमबुद्ध नगर सीट पर भी नोटा का विकल्प चौथे स्थान पर रहा। वहां 10 हजार 324 लोगों ने नोट का बट दबाया।
- मेरठ सीट पर भी 4 हजार 776 लोगों ने नोटा का विकल्प चुना। और पांच निर्दलीय उम्मीदवारों को हराया।
- बरेली सीट पर दस निर्दलीय उम्मीदवारों को पछाड़कर नोटा चौथे स्थान पर रहा। यहां 6 हजार 260 लोगों ने नोट का बटन दबाया।
- पीलीभीत सीट पर भी सात उम्मीदवारों की नोट से हार हुई। वहां नोट को 6 हजार 741 वोट मिले।
- शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव की जगह नोटा को 8562 वोट मिले।
- यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर में 7881 लोगों ने दस उम्मीदवारों को पछाड़ते हुए नोटा का बटन दबाया।
- मैनपुरी, कन्नौज, आज़मगढ़ और ग़ाज़ीपुर जैसी सीटों पर नोटा वोटरों की चौथी पसंद था। इन सीटों पर लोगों ने खूब नोट दबाये।
- इसके अलावा यूपी में कई सीटें ऐसी रहीं जहां नोटा ने निर्दलीय उम्मीदवारों को पछाड़कर चौथा या पांचवां स्थान हासिल किया।