डायबिटीज़ और डिमेंशिया के बीच संबंध की जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है। शोध से पता चला है कि डायबिटीज़ (विशेषकर टाइप 2 डायबिटीज़) वाले लोगों में डिमेंशिया विकसित होने का जोखिम बढ़ सकता है। इसका मुख्य कारण यह है कि उच्च ब्लड शुगर का स्तर मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिससे याददाश्त और संज्ञानात्मक क्षमता पर असर पड़ता है। डायबिटीज़ से जुड़े डिमेंशिया का खतरा निम्न कारणों से बढ़ सकता है:
ब्लड शुगर का उच्च स्तर: मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
रक्त वाहिनियों में समस्या: मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम होने से डिमेंशिया का जोखिम बढ़ता है।
इंसुलिन प्रतिरोध: मस्तिष्क की कोशिकाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल: डायबिटीज़ वाले लोगों में यह समस्याएं सामान्य होती हैं, जो डिमेंशिया के खतरे को और बढ़ाती हैं।
डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को इस जोखिम से बचने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए:
नियमित व्यायाम: मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
संतुलित आहार: रक्त शुगर को नियंत्रित रखने में सहायक होता है।
ब्लड शुगर की निगरानी: इसे नियंत्रण में रखने के लिए नियमित जांचें कराते रहें।
मानसिक व्यायाम: जैसे पहेलियाँ हल करना, पढ़ाई, या मस्तिष्क को सक्रिय रखने वाले कार्य करना।
डॉक्टर से नियमित परामर्श करना भी महत्वपूर्ण है ताकि समय रहते उचित उपाय किए जा सकें।