अडानी-हिंडनबर्ग मामला: अडानी ग्रुप और अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस बार हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट में शेयर कीमतों में हेरफेर और वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर अडानी ग्रुप पर सेबी की जांच को लेकर याचिका दायर की गई है। सेबी (सिक्योरिटीज एंड रेगुलेटरी बोर्ड ऑफ इंडिया) अडानी ग्रुप के 26 मामलों की जांच कर रहा था, जिसमें से 24 की जांच पूरी हो चुकी है और दो की जांच लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर नई याचिका में सेबी को इन दो लंबित जांचों को जल्द पूरा करने का निर्देश देने की मांग की गई है। खास बात यह है कि दो मामलों की जांच पूरी होने से पहले ही हिंडनबर्ग ने 10 अगस्त 2024 को अपनी दूसरी रिपोर्ट जारी कर दी, जिसमें सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच को आरोपी बनाया गया है। दूसरी रिपोर्ट जारी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
हिंडनबर्ग के आरोपों से निवेशक भ्रमित
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विशाल तिवारी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की गई है। इसमें उन्होंने 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के खिलाफ लगे आरोपों की जांच की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने कहा है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च की दूसरी रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों ने आम जनता और निवेशकों के मन में संदेह का माहौल पैदा कर दिया है।
सेबी में अडानी ग्रुप की दो जांच लंबित
अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने शनिवार 10 अगस्त 2024 को जारी अपनी दूसरी रिपोर्ट में कहा है कि अडानी ग्रुप के शेयर की कीमतों को बढ़ाने के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए अनक्लियर विदेशी फंड में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच की भी हिस्सेदारी थी। इससे पहले हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 को अडानी समूह पर वित्तीय लेनदेन में अनियमितता और शेयर की कीमतों में हेरफेर का भी आरोप लगाया था।
उसके बाद विनय तिवारी समेत कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जांच की अपील की थी। बाद में सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अडानी समूह के खिलाफ 24 आरोपों में से 22 की जांच पूरी हो चुकी है, जबकि दो मामले अभी लंबित हैं। जनवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को दो लंबित जांचों को तीन महीने के भीतर तेजी से और बेहतर तरीके से पूरा करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और एसआईटी जांच से किया था इनकार
याचिकाकर्ता विनय तिवारी ने अर्जी में कहा कि इस कोर्ट ने सेबी को अपनी जांच पूरी करने के लिए तीन महीने की समयसीमा साफ तौर पर तय की है। जब आदेश में तीन महीने का जिक्र है तो यह समझना समझदारी है कि लंबित जांच को पूरा करने के लिए एक निश्चित समय अवधि तय की गई है। 3 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले को विशेष जांच दल (एसआईटी) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने से इनकार कर दिया। उसने कहा था कि सेबी इस मामले की व्यापक जांच कर रही है।
सेबी को जांच पूरी कर परिणाम घोषित करने की जरूरत है
हालांकि हिंडनबर्ग की दूसरी रिपोर्ट में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाए जाने के बाद याचिकाकर्ता विनय तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दाखिल की है। उन्होंने कहा कि सेबी प्रमुख ने इन आरोपों को निराधार बताया है और इस कोर्ट ने भी माना है कि तीसरे पक्ष की रिपोर्ट पर विचार नहीं किया जा सकता। लेकिन, इस मामले ने जनता और निवेशकों के मन में संदेह का माहौल पैदा कर दिया है। ऐसे में सेबी के लिए लंबित जांच पूरी कर जांच के परिणाम घोषित करना अनिवार्य हो जाता है।