फाइटर जेट को आपने हवा में कलाबाजी करते हुए जरूर देखा होगा. कई पायलट मौत को मात देते हुए विमानों को 360 डिग्री टर्न कर लेते हैं. ऊपर-नीचे, आगे-पीछे ले जाते हैं. एविएशन की भाषा में इसे बैरल रोल (Barrel Roll) कहते हैं. लेकिन क्या सामान्य विमान या कमर्शियल फ्लाइट के साथ भी ऐसा किया जा सकता है? क्या किसी एयरलाइंस के पास ऐसा कोई विमान है, जिसके सामने कुछ आ जाए तो उसे तुरंत बैरल रोल कर लिया जाए? एविएशन एक्सपर्ट ने इसका जवाब दिया है.
लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, पायलट और एयरोस्पेस इंजीनियर रिचर्ड पी. एंडरसन ने कहा, यह प्रैक्टिस की बात है. अगर प्रैक्टिस नहीं हो तो छोटे स्टंट विमान और फाइटर जेट भी कोई बैरल रोल नहीं कर सकता. ऐसा करने के लिए एक कुशल पायलट की जरूरत होगी. एंडरसन ने कहा, मैं कुछ पायलट्स को जानता हूं कि जो भारी-भरकम कमर्शियल फ्लाइट को भी बैरल रोल कर सकते थे. कमर्शियल फ्लाइट में ऐसा करने वाले सबसे प्रसिद्ध पायलट एल्विन मेल्विन टेक्स जॉनस्टन थे. बोइंग के ट्रेनी पायलट जॉनसन 1955 की गर्मियों में फ्लाइट को 360 डिग्री टर्न कर ले गए.
विमान को 180 डिग्री मोड़ ले गए
लॉस एंजिल्स टाइम्स के अनुसार, सिएटल के पास वाशिंगटन झील पर एक नौका से देख रहे बोइंग के अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए उन्होंने दो बार बैरल रोल किया. साथ ही एक चैंडेल कास्ट भी. यह एक ऐसा स्टंट होता है, जिसमें पायलट विमान को 180 डिग्री मोड़ लेता है और चढ़ाई करता है. तब जॉनसन को उनके बॉस ने अपने दफ्तर में बुलाया और पूछा कि वे क्या कर रहे थे. तब जॉनसन ने जवाब दिया था कि सेलिंंग एयरप्लेन (Selling Airplanes). तब उनके जवाब की खूब चर्चा हुई थी.
गुरुत्वाकर्षण बल और स्पीड रखती मायने
एंडरसन ने कहा कि विमान का आकार उतना मायने नहीं रखता, जितना रोल के दौरान विमान में लगे गुरुत्वाकर्षण बल को नियंत्रित करने की पायलट की क्षमता. अगर वह गुरुत्वाकर्षण बल कंट्रोल कर सकता है, तो कुछ भी कर सकता है. विमान के अगले भाग को ऊपर उठाते हुए रोल करना होता है और फिर उसे नीचे की ओर गिरने देना होता है. उस वक्त स्पीड 885 से 965 किमी/घंटा होनी चाहिए.
कम से कम 2,000 फीट ऊंचाई हो
अमेरिकी वायुसेना के पायलट डेविड हैग्लंड ने कहा कि सबसे जरूरी होगा, कंडीशन देखना. उस वक्त के हालत कैसे हैं? हवाई क्षेत्र कैसा है, ये देखना होगा. बैरल रोल करने के लिए विमान को कम से कम 2,000 फीट ऊंचाई पर रहना होगा. ऊंचाई 4,000 फीट से ज्यादा भी नहीं होनी चाहिए. अगर विमान में यात्री सवार हों, तो ये करना खतरे से खाली नहीं होगा. ऑक्सीजन की मात्रा कम हो सकती है. टबुलेंस से जान भी जा सकती है. इसके बावजूद आज के ज्यादातर पायलट्स को 60 डिग्री पर टर्न करने की ट्रेनिंग मिली हुई होती है.