मंडला पेंटिंग का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह एक प्राचीन और प्रसिद्ध कला शैली है जो भारतीय और तिब्बती संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। मंडला का शब्द संस्कृत शब्द ‘मंडल’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘वृत्त’ या ‘गोल’।
मंडला पेंटिंग का प्रारंभ भारतीय धार्मिक संस्कृति से हुआ है, जहाँ मंडले का उपयोग ध्यान और मेधाशक्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है। मंडले को आकर्षक और सुंदर रंगों से सजाया जाता है, जो मन को शांति और समाधान प्रदान करते हैं।
मंडला पेंटिंग की प्रमुख विशेषता है कि इसमें समानांतर और सममित आकृतियों का उपयोग किया जाता है, जो मन को संतुलन, स्थिरता और समरसता की अनुभूति कराते हैं।
मंडला पेंटिंग की प्राचीनता को स्पष्ट करने के लिए, मंडले की प्राचीनतम उपलब्धि महाभारत काल में मिलती है, जहाँ मंडले का उपयोग समरसता, समर्पण और सम्मान को प्रकट करने के लिए किया जाता था।
मंडला पेंटिंग की प्रसिद्धि मुगलकाल में भी बढ़ी, जहाँ मुस्लिम कलाकारों ने मंडले को अपनी संस्कृति में समाहित किया।
आजकल, मंडला पेंटिंग समरसता, सुंदरता, स्थिरता, और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, और इसकी प्रसिद्धि पूरे विश्व में हो रही है।
लेखिका:— साधना मिश्रा