केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर 5G टेलिकॉम गियर पर बैन लगा रहा था। साथ ही कई अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट को भारत में बिक्री के लिए बैन किया हुआ है। लेकिन टेलिकॉम सेक्टर में इस्तेमाल किया जाने वाले IoT मॉड्यूल को खुली छूट थी। जिसकी वजह से भारत के करीब 80 फीसद मार्केट में चाइनीज IoT मॉड्यूल मौजूद हैं। बता दें कि IoT यानी इंटरनेट ऑफ थिंग्स आपके डिवाइस को वायरलेस तरीके से कनेक्ट करने में मदद करता है। हालांकि अब चीन से आयात होने वाले IoT मॉड्यूल केंद्र सराकर के रडार पर आ गये हैं। यह प्रोडक्ट अपनी सस्ती कीमत की वजह से भारत में काफी पॉपुलर थे।
चाइनीज आईओटी मॉड्यूल का 80 फीसद मार्केट पर है कब्जा
मार्केट ट्रैकर काउंटरप्वाइंट रिसर्च के मुताबिक क्वेक्टेल, नियोवे और सिमकॉम जैसे चीनी IoT सेलर प्रोडक्ट 80 फीसद मार्केट पर कब्जा रखते हैं, जबकि मुकाबले में मीडियाटेक और क्वालकॉम जैसे ग्लोबल प्लेयर पीछे छूट रहे हैं। जैसा कि आपको मालूम होगा कि भारत में पिछले कुछ साल में डिजिटलीकरण पर खासा जोर दिया गया है। सरकार की ओर से स्मार्ट मीटर योजना, ऑटोमोबाइल में टेलिमैक्टिस की वजह से चीन ने आने आने वाले आईओटी मॉड्यूल की डिमांड बढ़ी है, जिसे भारतीय कंपनियां धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही हैं। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि यह आईओटी मॉड्यूल संवदेनशील डेटा के लिए खतरा पैदा हो सकते हैं। हैकर्स रिमोटली भारतीयों के डेटा को एक्सेस कर सकते हैं।
क्या है आईओटी मॉड्यूल
IoT मॉड्यूल की बात करें, तो इसमें एक चिपसेट और एक वायरलेस संचार कंपोनेंट शामिल होता है, जो रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन और सीसीटीवी कैमरों को जटिल इंडस्ट्रियल मशीन को इंटरनेट की मदद से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से जोड़ता है।काउंटरप्वाइंट के आईओटी कंपोनेंट इकोसिस्टम रिसर्चर सुभादीप रॉय की मानें, तो स्मार्ट मीटर और पॉइंट-ऑफ-सेल (पीओएस) साउंड बॉक्स में बढ़ोतरी की वजह से भारत में 2021 के बाद चीन से भारत आयात होने वाले आईओटी मॉड्यूल में जोरदार इजाफा दर्ज किया गया है।
साल 2029 तक 49.82 बिलियन डॉलर का होगा मार्केट
इस मामले में मीडियाटेक ने कहा कि वो भारत को बेहद सिक्योर आईओटी सिस्टम और स्मार्ट मॉड्यूल उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं। हालांकि क्वॉलकॉम की ओर से इस मामले में किसी तरह का कॉमेंट करने से इनकार कर दिया गया है। Statista के डेटा के मुताबिक साल 2024 से आईओटी मार्केट एनुअली 16.56 फीसद की दर से बढ़ सकता है। ऐसे में साल 2029 तक यह मार्केट 49.82 बिलियन डॉलर का हो सकता है।