पुणे में जीका वायरस के दो मरीज मिले हैं। इन दोनों की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। एक डॉक्टर और उनकी बेटी जीका वायरस से संक्रमित हैं। हालांकि उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन इससे महाराष्ट्र में तनाव बढ़ गया है।
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक डॉक्टर और उनकी बेटी जीका वायरस से संक्रमित हो गए हैं। ये डॉक्टर पुणे के एरंडवाने इलाके का रहने वाला है। डॉक्टर को बुखार और दाने हो गए थे। इसलिए उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल ने उनके रक्त के नमूने को परीक्षण के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) में भेजा। उनकी रिपोर्ट से पता चला कि डॉक्टर जीका वायरस से संक्रमित हो गए हैं। डॉक्टर के संक्रमित होने के बाद परिवार के पांच अन्य सदस्यों के रक्त के नमूने भी परीक्षण के लिए भेजे गए थे। इसमें उनकी 15 साल की बेटी के संक्रमित होने की बात सामने आई। यह जानकारी पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारियों ने दी।
जीका वायरस कैसे फैलता है?
जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। मच्छरों की तरह ही यह प्रजाति भी डेंगू और चिकनगुनिया जैसे संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार मानी जाती है। इस वायरस की खोज सबसे पहले 1947 में युगांडा में हुई थी। शहर में ये दो मामले सामने आने के बाद नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने निगरानी शुरू कर दी है। अधिकारी ने कहा, हालांकि क्षेत्र में कोई अन्य संदिग्ध मामला नहीं है, लेकिन अधिकारियों ने मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाना शुरू कर दिया है।
गर्भवती महिलाओं को करता है ज्यादा संक्रमित
राज्य स्वास्थ्य विभाग ने मच्छरों के नमूने एकत्र किए हैं। इलाके में आम लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया गया है। साथ ही क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। जीका वायरस कोई गंभीर समस्या पैदा नहीं करता है। अधिकारी ने कहा, हालांकि, अगर कोई गर्भवती महिला संक्रमित है, तो इसका असर उसके अजन्मे बच्चे पर पड़ सकता है।
जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति का खून पीने से मच्छर जीका वायरस से संक्रमित हो जाते हैं। यदि वही मच्छर अन्य लोगों को काटता है, तो वे जीका से संक्रमित हो जाते हैं। बरसात के मौसम में जमा पानी से मच्छर पनपते हैं। इन मच्छरों के काटने से डेंगू, सर्दी का बुखार, चिकनगुनिया जैसी बीमारियाँ होती हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि जीका का मरीज मिलने के बाद ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।