ऋषि पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन ऋषियों का पूजन किया जाता है और उनके ज्ञान का सम्मान किया जाता है। ऋषि पंचमी के दिन अनेक व्रत और अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें से एक प्रमुख है अनाज का सेवन न करना।
अनाज वर्जित क्यों?
- ऋषियों के सम्मान में: मान्यता है कि ऋषियों ने तपस्या के दौरान अनाज का सेवन नहीं किया था। इसीलिए उनके सम्मान में इस दिन अनाज का सेवन नहीं किया जाता है।
- शारीरिक शुद्धि: अनाज का सेवन न करके शरीर को विश्राम दिया जाता है और आंतरिक शक्ति को बढ़ाया जाता है।
- धार्मिक महत्व: कई धार्मिक ग्रंथों में अनाज के सेवन न करने को पुण्यदायी बताया गया है।
महिलाओं के लिए ऋषि पंचमी का महत्व
- सौभाग्य और पति की लंबी उम्र: महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
- संतान प्राप्ति: संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाएं भी इस व्रत को करती हैं।
- पाप मोचन: यह व्रत जाने-अनजाने में किए गए पापों का निवारण करने में भी सहायक माना जाता है।
ऋषि पंचमी के दिन क्या खाना चाहिए?
ऋषि पंचमी के दिन फल, सब्जियां, दूध, दही, और सूखे मेवे का सेवन किया जा सकता है। कुछ लोग फलाहार भी करते हैं।
ध्यान दें: ऋषि पंचमी के व्रत से जुड़े नियम और विधि विभिन्न संप्रदायों में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। इसलिए, व्रत करने से पहले किसी विद्वान या पुजारी से सलाह लेना उचित होता है।
मुख्य बातें:
- ऋषि पंचमी ऋषियों को समर्पित एक पवित्र दिन है।
- इस दिन अनाज का सेवन नहीं करने की परंपरा है।
- महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष महत्व रखता है।
- यह व्रत शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए भी लाभदायक होता है।
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