भारत एक ऐसा देश है। जो पूरी दुनिया में अपनी मान्यताओं और सभ्यताओं के लिए जाना जाता है। भारत में रिश्तों का मूल ‘स्तंभ विवाह’ को माना गया है। यहां पति-पत्नी के रिश्ते को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। दोनों को एक ही सिक्के के दो पहलू भी कहा जाता है। पत्नियों को मां लक्ष्मी तथा पतियों को भगवान का दर्जा दिया जाता है। फिर क्यों भारत जैसे देश में तलाक की संख्या आज की तारीख में इतनी बढ़ने लगी है।
मनोवैज्ञानिक कारण
परिवार में भावनात्मक समस्याएं जैसे की पारिवारिक शांति की कमी, परिवार के सदस्यों का समर्थन या परिवार में उचित सम्मान की कमी, महिलाओं को परिवार में नजर अंदाज करना, उनके किसी भी राय को उचित सम्मान नहीं देना, यह कारण भी तलाक की संख्या को प्रभावित कर रही हैं। मनोवैज्ञानिक तौर पर महिलाओं को घरों में इमोशनल सपोर्ट नहीं मिलता परिवार के साथ रहकर भी वह अकेला महसूस करने लगी हैं।
सामाजिक सोच मे परिवर्तन
भारत के समाज में गहरा परिवर्तन हुआ है। जैसे कि शहरीकरण नई सोच नई विचारधारा समाज में औरतों को लेकर लोगों की सोंच बदली है। औरतों ने समाज में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। जिसके कारण औरतों को समाज में बढ़ावा मिल रहा है। जहां पहले भारत में तलाक को कलंक की तरह माना जाता था, अब धीरे-धीरे लोग उसे स्वीकार करने लगे हैं। आज समाज यह बोलने लगा है, कि मरी हुई बेटी से अच्छी तो तलाकशुदा बेटी होती है, लोग समझने लगे हैं, कि किसी अनचाहे रिश्ते का बोझ ढोने से अच्छा है, कि आप जीवन में अकेले रहें, लोग अपनी पसंद और नापसंद को एक दूसरे के सामने रखने लगे हैं। यह बात सिर्फ महिलाओं पर नहीं पुरुषों पर भी लागू होती है।
शिक्षा
शिक्षा का स्तर भारत में अब धीरे-धीरे सुधरने लगा है। जिसके कारण सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि भारत की महिलाएं भी शिक्षित हो रही हैं। शिक्षा के कारण महिलाओं में अपने अधिकारों और सम्मान के प्रति जागरूकता बढ़ने लगी है। महिलाएं अब धीरे-धीरे समझने लगी हैं, कि उनका आत्म सम्मान भी जरूरी है। महिलाएं अब अपना जीवन स्वयं सुधारने का समर्थ रखती हैं। महिलाओं को यह पता चल गया है, कि वह तलाक की मांग कर सकती हैं। अगर उन्हें जरा सा भी असुरक्षित या उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंचती है।
आत्मनिर्भरता या स्वतंत्रता
आज महिलाएं और पुरुष दोनों शिक्षित हैं। वह किसी भी दबाव में आकर कि कोई भी रिश्ता नहीं चलाना चाहते हैं। शिक्षित होने के कारण पुरुष और महिलाएं दोनों ही आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं। वह अपना पैसा खुद कमा सकते हैं। और खर्च कर सकते हैं। एक दूसरे पर निर्भर ना होने के कारण अब लोग शादी और तलाक को एक विकल्प समझने लगे हैं। आज महिला या पुरुष दोनों शादी के रिश्ते में प्रेम सम्मान और समानता की भावना रखते हैं। धीरे-धीरे महिलाओं के भीतर से यह भय खत्म होने लगा है, कि अगर पति ने उन्हें तलाक दे देगा तो वह कहां जाएंगी। महिलाएं सक्षम हो गई हैं और अपने दैनिक जवन को सुदृढ़ और मजूब करने के लिए अपना खर्चा स्वयं उठा सकती हैं।
कानूनी सुधार
कुछ साल पहले भारत में तलाक की प्रक्रिया को सरल कर दिया गया है। कुछ कानूनी सुधार किए गए हैं। जिसके वजह से लोगों के मन से तलाक का डर धीरे-धीरे खत्म होने लगा है। लोग समझने लगे हैं, कि कानून उनकी सुरक्षा करेगा, तलाक के बाद भी उनको उचित सम्मान और अधिकार दिलाएगा।
आर्थिक विकास
आर्थिक विकास के कारण धीरे-धीरे लोगों के विचारों में भी परिवर्तन आने लगा है। लोगों का व्यवहार बदलने लगा है। लोग एक दूसरे से सम्मान की उम्मीद करने लगे हैं। पहले के मुकाबले लोग अब अपने स्वतंत्रता और स्वाभिमान को ज्यादा महत्व देने लगे हैं। किसी पर निर्भर न होने के कारण लोग अपने फैसले स्वयं आसानी से लेने में सक्षम होने लगे हैं। अब भारत में लोग अपने शादीशुदा रिश्ते में अपने पारिवारिक लोगों का भी दखलंदाजी पसंद नहीं करते हैं।