नई दिल्ली: अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर गहरा गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी आयात पर 10 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका के कुछ उत्पादों पर 15% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच स्थिति और खराब हो सकती है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है जबकि चीन का सपना 21वीं सदी में उससे आगे निकलने का है। इस बीच अमेरिका का चीन से आयात उसके कुल इंपोर्ट का 13.5% रह गया है जो 21 साल में सबसे कम है। साल 2018 से इसमें 8 फीसदी गिरावट आई है जबकि इस दौरान कनाडा और मैक्सिको से आयात बढ़ा है।
इससे साफ है कि अमेरिका की इकॉनमी की चीन पर निर्भरता कम हो रही है। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने से अमेरिका की कंपनियां चीन के इतर ठिकाना बना रही हैं। आंकड़ों के मुताबिक 2018 के बाद से अमेरिका ने कई दूसरे देशों से आयात बढ़ाया है। सबसे ज्यादा आयात वियतनाम से बढ़ा है। इसके अलावा मैक्सिको, ताइवान, यूरोप, कोरिया, थाईलैंड, भारत और कनाडा से भी आयात बढ़ा है। मैक्सिको से आया 2 परसेंट की तेजी के साथ 15.5 फीसदी के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया। अमेरिका ने कनाडा और मैक्सिको के सामान पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया था जिसे फिलहाल एक महीने के लिए टाल दिया गया है।
किसका नुकसान
जानकारों का मानना है कि चीन के टैरिफ से अमेरिका पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि उसने अमेरिका पर अपनी निर्भरता काफी हद तक कम कर ली है। लेकिन चीन को इससे काफी नुकसान हो सकता है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका चीन का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। 2024 में अमेरिका के साथ चीन का ट्रेड सरप्लस 1 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंच गया। दूसरी ओर अमेरिका को चीन को एक्सपोर्ट कम हो रहा है। चीन ने जिन चीजों पर टैरिफ लगाया है उनका एक्सपोर्ट 2024 में 23.6 अरब डॉलर रहा था। यानी इस लड़ाई में चीन का ज्यादा नुकसान है।