नई दिल्ली। 15 जुलाई की शाम सोशल मीडिया में UPSC स्कैम हैशटैग खुलकर वायरल हो रहा था। लोग यूपीएससी में कोटे के जरिये हुए IAS चयन पर सवाल उठा रहे हैं। इसमें IAS पूजा खेडकर के अलावा अब एक और आईएएस अफसर का नाम भी सामने आने लगा है। महाराष्ट्र की ट्रेनी IAS पूजा खेडकर जब से चर्चा में आई हैं, लोग बस यही सवाल पूछ रहे हैं कि क्या कोई मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति भी कोटे के जरिये IAS बन सकता है। इस मामले ने पुणे के जिलाधिकारी दुहास दिवासे द्वारा राज्य के मुख्य सचिव से शिकायत के बाद तूल पकड़ा। इस बहस मुहाबिसे के बीच आइए जानते हैं कि आखिर दिव्यांग कोटे के जरिये यूपीएससी में चयन की पूरी प्रक्रिया क्या है।
21 नई डिसएबिलिटी भी हुई हैं शामिल: IAS इरा सिंघल
अरुणांचल में पोस्टेड IAS इरा सिंघल ने साल 2014 में यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया टॉप किया था। लोकोमोटर डिसेबिलिटी (स्कोलियोसिस) से ग्रसित इरा ने इसके लिए लंबा संघर्ष किया है। aajtak।in से बातचीत में आईएएस इरा ने बताया कि डिसेबिलिटी कोटा 4 तरीके (ऑर्थो, विजुअल, हियरिंग, मल्टिपल डिसेबिलिटीज) के होते हैं। वो आगे बताती हैं कि ने RPwD ( Rights of person with diabilities) ACT में 21 डिसेबिलिटीज रिकग्नाइज हुई हैं। इसमें कई सारी मेंटल की हैं। इसके अलावा एसिड अटैक सर्वाइवर को भी एड किया गया है। इसमें नियम यह है कि जब कोई उम्मीदवार फॉर्म में डिसऐबल होने का दावा करता है तो उसका वेरिफिकेशन तब होता है जब वो इंटरव्यू में सेलेक्ट हो जाता है।
वेरिफिकेशन के लिए यूपीएससी द्वारा दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पतालों में तय किए गए मेडिकल बोर्ड में टाइम और डेट दी जाती है और जब बाकी लोगों का वेरिफिकेशन होता है। उन्हीं डेट्स में पीएच (फिजिकली हैंडीकैप्ड) वालों का भी वेरिफिकेशन होता है। ये मेडिकल बोर्ड यूपीएससी के साथ संबद्ध होता है।
IAS इरा ने बताया कि नए RPWD के तहत 21 डिसेबिलीटीज रजिस्टर्ड हैं। मसलन यूपीएससी में हर सर्विस वाले बोलते हैं कि मुझे इस डिसएबिलिटी वाले लोग लेने हैं , मुझे ये वाले लेने हैं। आयोग को DOPT के नियम के अनुसार पीएच कैंडिडेट्स के लिए जॉब आईडेंटीफाई करने होते हैं। कोटे को लेकर सोशल मीडिया में कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। जैसे कोई कह रहा है कि आईपीएस की सर्विास में कोटे से लोग गए हैं, लेकिन ऐसा संभव ही नहीं है। IPS और पुलिस की सर्विस में कोई भी PWD कैंडिडेट जा ही नहीं सकता। इसी तरह आईएएस सर्विसेज के लिए मेंटल फिटनेस बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर पूजा खेडकर केस की बात करें तो कोई भी कैंडिडेट दो साल तक प्रोबेशन में होता है, अगर इन दो साल में उसका मेडिकल वेरिफाइ नहीं होता है तो 2 साल बाद उसे निकाल दिया जाएगा। नियम बहुत स्पष्ट हैं जब तक कोटा अप्रूव नहीं होता तब तक पोस्टिंग कंडीशनल होती है।
40 पर्सेंट डिसएबिलिटी मान्य
मुखर्जी नगर में विजन आईएएस कोचिंग संस्था के शिक्षक पुष्पेंद्र श्रीवास्तव बताते हैं कि जहां तक मैंने इसका अध्ययन किया है तो अगर उम्मीदवार को किसी भी तरह की डिसएबिलिटी होगी तो वो 40 पर्सेंट होनी चाहिए।अगर कोई मेडिकल बोर्ड 40 पर्सेंट लिखकर दे देता है तो ये प्राइमरी लेवल पर मान्य होता है। फिर जब उम्मीदवार सेलेक्ट होता है तो आईएएस में चयन के लिए यूपीएससी से मान्य मेडिकल बोर्ड इसे डिसाइड करता है कि उम्मीदवार सही में विकलांग है भी कि नहीं। वो कहते है कि पूजा खेडकर के मामले में यह हुआ कि कोरोना के दौर में वो मेडिकल बोर्ड में नहीं गईं और टालती रहीं।
कोरोना पीरियड के कारण वो बार बार एक्सटेंशन लेती रहीं, उसी बीच इन्होंने ज्वाइनिंग ले लीं। उन्हें दोबारा डेट दी गई तो ये जा नहीं रहीं। वो उदाहरण के जरिये समझाते हुए कहते हैं कि जैसे आपने कई बार देखा होगा कि कोई पोलियो का शिकार है फिर भी उसे सेलेक्शन नहीं मिला तो जरूर उसकी दिव्यांगता 40 पर्सेंट नहीं होगी। अगर किसी उम्मीदवार ने कोई कोटा लिया है तो उसका प्रमाणन यूपीएससी जरूर कराता है। बगैर सर्टिकफिकेट प्रमाणित हुए किसी भी तरह के कोटे का फायदा नहीं दिया जा सकता।
विकलांगता की अवधि भी होती है तय
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग की वेबसाइट के मुताबिक केंद्र सरकार या राज्य सरकार एक मेडिकल बोर्ड का गठन करती हैं। बोर्ड में तीन डॉक्टर नियुक्त किए जाते हैं। तीन में से एक डॉक्टर उस क्षेत्र में स्पेशलिस्ट होना चाहिए, जिसमें विकलांगता की जांच होनी है। अगर बोर्ड ये मान लेता है कि व्यक्ति विकलांग है तभी वो नौकरी का पात्र होता है। इसमें बोर्ड ये भी तय कर सकता है कि विकलांगता कितनी अवधि तक रह सकती है। अगर बोर्ड एक तय अवधि देता है तो उसके बाद उसे विकलांग नहीं माना जाता।
क्या कहता है RPWD Act 2016
शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए सरकार ने 2016 में राइट्स ऑफ पर्सन्स विद डिसेबिलिटीज़ एक्ट (RPWD Act) पास किया था। इस एक्ट के मुताबिक सरकार ने पांच तरह की डिसेबिलिटीज़ के लिए आरक्षण तय किया।यूपीएससी ने इसे अलग अलग नौकरियों में कैटेगरी तय कर रखी हैं। हाल ही में आरपीडब्ल्यूडी एक्ट में कुछ और चीजें जोड़ी गईं, इन पांच विकलांगता कैटेगरी को ‘बेंचमार्क डिसेबिलिटी’ कहा जाता है। इस तरह आइए जानते हैं ये पांच बेंचमार्क डिसेबिलिटी कौन कौन सी हैं।
- सबसे पहले दृष्टिहीन या द्रष्टिचबाधित या जिन्हें कम दिखाई दे।
- श्रवण बाधित जो सुनने में अक्षम हों या ऊंचा सुन पाते हों।
- जिनका मांसपेशीय विकास ना हुआ हो, जैसी चलने-फिरने में अक्षमता वाले लोग, इसके अलावा सेरेब्रल पॉल्सी, कुष्ठ रोग से ठीक हुए लोग, बौनापन, एसिड अटैक पीड़ित
- ऑटिज्म, बौद्धिक विकलांगता, विशिष्ट सीखने की विकलांगता और मानसिक बीमारी।
- ऊपर दिए गए चार विकल्पों में से एक या एक से ज्यादा तरह की विकलांगता।
दिव्यांग उम्मीदवारों को मिलती हैं सहूलियतें
संघ लोक सेवा आयोग शारीरिक रूप से विकलांग उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा में छूट, पदों का आरक्षण और परीक्षा केंद्रों में विशेष प्रावधान आदि भी देता है। साथ ही यूपीएससी के लिए शारीरिक रूप से विकलांग उम्मीदवारों के लिए मानदंड भी तय किए गए हैं।
किस विकलांगता के लिए कौन सा सिविल सेवा पद है तय
- भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)- लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय विदेश सेवा (IFS)- लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क, ग्रेड ए)- लोकोमोटर विकलांगता, श्रवण बाधित
- भारतीय पी एंड टी लेखा एवं वित्त सेवा, ग्रेड ए- लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा, ग्रेड ए- लोकोमोटर विकलांगता, श्रवण बाधित
- भारतीय रक्षा लेखा सेवा, ग्रेड ए- लोकोमोटर विकलांगता
- भारतीय राजस्व सेवा (आईटी), ग्रेड ए- लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय आयुध- लोकोमोटर विकलांगता
- फैक्ट्रीज़ सर्विस, ग्रेड ए– दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय डाक सेवा, ग्रेड ए- लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय सिविल लेखा सेवा, ग्रेड ए- लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय रेलवे लेखा सेवा, ग्रेड ए- लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा, ग्रेड ए- लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय रेलवे यातायात सेवा, ग्रेड ए- लोकोमोटर विकलांगता
- भारतीय रक्षा संपदा सेवाएं, ग्रेड ए- लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय सूचना सेवा, ग्रेड ए- लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय व्यापार सेवा, ग्रेड ए (ग्रेड III)– लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- भारतीय कॉर्पोरेट कानून सेवा– लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- सशस्त्र सेना मुख्यालय सिविल सेवा, ग्रेड बी (अनुभाग अधिकारी ग्रेड)– लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली सिविल सेवा, ग्रेड बी– लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
- पांडिचेरी सिविल सेवा, ग्रेड बी— लोकोमोटर विकलांगता, दृश्य हानि, श्रवण बाधित
UPSC IAS के लिए फिजिकल फिटनेस के ये मानक जरूरी
- अभ्यर्थियों के दांत, हृदय एवं फेफड़ा ठीक होना चाहिए, पेट से सम्बंधित गंभीर बीमारी न हो।
- उनमें कोई जन्मजात विकृति या दोष नहीं होना चाहिए। तीव्र या दीर्घकालिक बीमारी का लक्षण नहीं होना चाहिए।
- अभ्यर्थियों के पास प्रभावी टीकाकरण के प्रमाण पत्र होने चाहिए।उन्हें कोई संक्रामक रोग नहीं होना चाहिए।
- सेवा में प्रवेश के समय घातक बीमारियों से पीड़ित उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
- कॉर्निया प्रत्यारोपण को एक अपवाद के तौर पर छोड़कर प्रत्यारोपित अंग वाले उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित किया जाता है।
- IAS एस्पि्रेंट्स के लिए कोई हाइट-वेट या चेस्ट का पैरामीटर नहीं लिया जाता। हां, यदि ये माप मेडिकल बोर्ड द्वारा बताए गए अनुपात से अधिक है तो छाती का एक्स-रे लिया जा सकता है।
- कॉमन एस्पिुरेंट्स की आई साइट सही होनी चाहिए। इसमें सुधार के लिए चश्मा, सीएल और लेसिक, आईसीएल, आईओएल आदि जैसी सर्जरीज भी ले सकते हैं।
- जिन्हें मैक्युलर डिजनरेटिव परिवर्तनों के साथ मायोपिया है, उन्हें IAS में सेवा के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा।
- आंखों में भेंगापन वाले लोग सेवा के लिए योग्य हैं। यही नहीं, रतौंधी भी उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने का आधार नहीं है।
- उच्च रक्तचाप की किसी भी जटिलता से मुक्त उम्मीदवारों को ही सेवा के लिए फिट घोषित किया जाएगा।
- मधुमेह की किसी भी जटिलता से मुक्त उम्मीदवारों को ही सेवा के लिए फिट घोषित किया जाएगा।
- उम्मीदवार की सुनने की क्षमता दोनों कानों में सही होनी चाहिए और उसे कान की किसी भी बीमारी से मुक्त होना चाहिए।गर्भवती महिला
- उम्मीदवार सेलेक्शन के समय शारीरिक प्रशिक्षण वाली सेवाओं को छोड़कर फिट रहेंगी, उन्हें प्रसव के बाद फिट घोषित किया जाएगा।
मेंटल फिटनेस बहुत जरूरी
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा निर्धारित सिविल सेवा परीक्षा नियमावली के नियम 21 के अनुसार उम्मीदवार को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है। उसमें कोई भी शारीरिक दोष नहीं होना चाहिए, जिससे सेवा के अधिकारी के रूप में उसके कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा उत्पन्न होने की संभावना हो। यूपीएससी अभ्यर्थिवयों के टेस्ट के लिए दिल्ली के बड़े सरकारी अस्पतालों में बने मेडिकल बोर्ड में भेजती है, वहां उनका शारीरिक मानसिक परीक्षण होता है।
क्या है IAS पूजा खेडकर केस
2023 बैच की IAS पूजा खेडकर पर पुणे में प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी के रूप में काम करते हुए पद के दुरुपयोग का आरोप है। पूजा ने कई सुविधाओं की मांग की थी। दरअसल, ये सुविधाएं प्रशिक्षु अधिकारियों को नहीं मिल पातीं हैं, फिर भी पूजा ने लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का इस्तेमाल किया। अपने वाहन पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ का साइनबोर्ड लगाया और एक आधिकारिक कार, आवास, कार्यालय कक्ष और अतिरिक्त स्टाफ की मांग की।
इतना ही नहीं उन्होंने सीनियर अधिकारी की अनुपस्थिति में उनके चैंबर पर भी कब्जा कर लिया था।इन सभी मामलों के बाद पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा था और पूजा खेडकर की शिकायत की थी। उसके बाद पूजा का तबादला वाशिम जिले में कर दिया गया। वहां उन्होंने असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में जॉइन कर लिया है।
दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का प्रमाण पत्र जमा करके यूपीएससी परीक्षा में हिस्सा लिया था
इसके अलावा, यह भी आरोप है कि पूजा खेडकर ने दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का प्रमाण पत्र जमा करके यूपीएससी परीक्षा में हिस्सा लिया था। उसके आधार पर विशेष रियायतें पाकर वो आईएएस बनीं। यदि उन्हें यह रियायत नहीं मिलती तो उनके लिए प्राप्त अंकों के आधार पर आईएएस पद प्राप्त करना असंभव होता। चयन के बाद पूजा को मेडिकल जांच से गुजरना था, लेकिन उन्होंने इसे टाल दिया।
उन्होंने विभिन्न कारणों से छह बार मेडिकल परीक्षण से इनकार कर दिया। बाद में बाहरी मेडिकल एजेंसी से एमआरआई रिपोर्ट जमा करने का विकल्प चुना, जिसे यूपीएससी ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया। हालांकि बाद में यूपीएससी ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। इसके चलते सरकार से इसकी जांच की मांग की जा रही है।