उत्तर प्रदेश में बुधवार को हुए नौ विधानसभा सीटों के उपचुनावों ने राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी। चुनावी माहौल में न केवल गहमागहमी और हंगामा था, बल्कि हिंसा, पुलिस के हस्तक्षेप और आरोप-प्रत्यारोप का भी दौर चला। इन उपचुनावों के दौरान मतदान शांतिपूर्ण होने की बजाय विवादों और बवाल से घिरा रहा।
मतदान प्रतिशत और विवादों की गूंज
चुनाव आयोग के अनुसार, बुधवार शाम 5 बजे तक 9 विधानसभा सीटों के उपचुनावों में करीब 50 प्रतिशत मतदान हुआ। हालांकि, आयोग का कहना है कि अंतिम आंकड़े आने तक मतदान का प्रतिशत और बढ़ सकता है। इन चुनावों में मतदाताओं को उनके मतदान के अधिकार से वंचित करने और बिना अधिकार पहचान पत्र चेक किए जाने की घटनाओं के बाद पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया, जबकि सात अन्य पुलिसकर्मियों को उनकी ड्यूटी से हटा दिया गया।
विधानसभा सीटों पर मतदान का प्रतिशत अलग-अलग था, जिनमें गाजियाबाद में सबसे कम 33.30 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि मीरापुर में सबसे ज्यादा 57 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके अतिरिक्त, कटेहरी में 56.69 प्रतिशत और कुंदरकी में 55 प्रतिशत मतदान हुआ। वहीं मंझवा और खैर में क्रमशः 50.41 प्रतिशत और 46.55 प्रतिशत मतदान हुआ।
हिंसा और बवाल की घटनाएं
हालांकि मतदान की प्रक्रिया जारी थी, लेकिन विभिन्न सीटों से हिंसा और बवाल की खबरे भी आती रहीं। करहल में एक दलित लड़की की हत्या का मामला सामने आया, जिसके बाद प्रदेश की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। लड़की के पिता का कहना था कि सपा के लोगों ने उसकी बेटी की हत्या कर दी, क्योंकि उसने सत्ता पक्ष को वोट देने की बात कही थी। इस घटना के बाद राज्य की राजनीति में एक नई गरमा-गरमी का माहौल बना, जिसमें उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सपा पर गुंडागर्दी का आरोप लगाया।
वहीं, सपा के नेता और प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा पर फर्जी मतदान करवाने का आरोप लगाया। कुंदरकी में सपा के उम्मीदवार हाजी रिजवान ने भी पुलिस और प्रशासन पर बूथ कैप्चरिंग का आरोप लगाते हुए मतदान का बहिष्कार कर दिया। इसके अलावा, मझवां और कटेहरी सीटों पर भी बवाल की घटनाएं हुईं। कटेहरी सीट पर सपा सांसद लालजी वर्मा और पुलिस के बीच झड़प हो गई, जबकि मझवां से सपा प्रत्याशी ज्योति बिंद ने चुनाव आयोग से शिकायत की कि मतदाताओं को डराने-धमकाने की कोशिश की गई थी।
सपा और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप
इन घटनाओं ने चुनावी माहौल को और गर्म कर दिया। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने भाजपा के पक्ष में चुनावी धांधली की। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा के विरोधियों ने हर संभव कोशिश की कि सपा के वोटरों को वोट डालने से रोका जाए। इसके जवाब में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने सपा पर फर्जी वोट डालने का आरोप लगाया, और कहा कि सपा अपने उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए चुनावी अनियमितताओं का सहारा ले रही है।
चुनाव आयोग की कार्रवाई
चुनाव आयोग ने आरोपों को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कदम उठाया। पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई और पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया, जबकि सात अन्य को उनकी ड्यूटी से हटा दिया गया। यह कार्रवाई इस बात का संकेत थी कि आयोग चुनाव में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए पूरी तरह से तैयार है, और किसी भी तरह की गलत गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश के इन उपचुनावों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राज्य में चुनावी राजनीति कितना तीव्र और संवेदनशील हो सकती है। हिंसा, आरोप-प्रत्यारोप और पुलिस की कार्यवाही ने इन चुनावों को एक नई दिशा दी। हालांकि, चुनाव आयोग की कार्रवाई और मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा की उम्मीद बनी हुई है, लेकिन इसके बावजूद चुनावी माहौल में उथल-पुथल ने राज्य की राजनीतिक दिशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विधानसभा उपचुनावों में इस तरह की घटनाएं दर्शाती हैं कि भारतीय चुनावी प्रक्रिया में एक बड़ी चुनौती है – वह है वोट की स्वतंत्रता और निष्पक्षता की रक्षा करना।