थानेदार समेत दो पुलिसकर्मी दोषी, 26 साल पहले किया था ये गलत काम

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पटना: बिहार के पूर्णिया जिले में 26 साल पहले फर्जी एनकाउंटर बताकर एक शख्स की हत्या करने के मामले में तत्कालीन थानेदार और इंस्पेक्टर को दोषी पाया गया है। पटना की सीबीआई विशेष अदालत ने शुक्रवार को बड़हरा कोठी थाने के तत्कालीन थानेदार मुखलाल पासवान और इंस्पेक्टर अरविंद कुमार झा को दोषी करार दिया।

सजा पर सुनवाई आगामी 8 अक्टूबर को होगी। मधेपुरा जिले के बिहारीगंज निवासी संतोष कुमार की 1998 में हत्या कर दी गई थी। फिर पुलिस ने इसे एनकाउंटर बता दिया, लेकिन जांच में यह मुठभेड़ फर्जी पाई गई।

सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने दोनों दोषी पुलिस अधिकारियों को न्यायिक हिरासत में लेकर पटना की बेऊर जेल भेज दिया। अदालत ने गवाहों के बयान और उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर मुखलाल पासवान को संतोष सिंह को गोली मारने का दोषी पाया। उस पर हत्या के साक्ष्य मिटाने का भी आरोप है। वहीं, दारोगा अरविंद कुमार झा को आईपीसी की धारा 193 के तहत दोषी करार दिया गया।

अदालत ने सबूतों के अभाव में दो आरोपी दारोगा संजय कुमार और सिपाही रामप्रकाश को बरी कर दिया। सीबीआई इनके खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रही। केंद्रीय जांच एजेंसी ने 20 दिसंबर 2002 को तत्कालीन थानेदार मुखलाल पासवान समेत चार अन्य पुलिसकर्मी के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।

पूर्णिया जिले के बरहड़ा कोठी थाना क्षेत्र के एक गांव में जगदीश झा के घर पुलिस ने साल 1998 में छापेमारी की थी। इस दौरान संतोष कुमार सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस घटना को आरोपियों ने पुलिस मुठभेड़ बताया था। पहले इस मामले की जांच सीआईडी ने की थी। बाद में मामला सीबीआई को सौंपा गया।

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