लखनउ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (RSSP) के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य कोर्ट द्वारा भगोड़ा घोषित कर दिए गए है। मामले के अनुसार लखनऊ की ACJM आलोक वर्मा के कोर्ट ने बिना तलाक लिए धोखाधड़ी करके विवाह करने के मामले में दायर केस में लगातार पेशी पर नहीं आने के बाद पूर्व मंत्री मौर्य और उनकी पूर्व सांसद बेटी संघमित्रा दोनों को ही भगोड़ा घोषित किया है।
युवक को परेशान करने के मामले में भगोड़ा घोषित
विशेष न्यायाधीश आलोक वर्मा ने बीते 5 जुलाई को पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, उनकी बेटी और पूर्व भाजपा सांसद संघमित्रा और तीन अन्य आरोपियों को दीपक कुमार स्वर्णकार नामक युवक को परेशान करने के मामले में भगोड़ा घोषित किया है। आदेश की प्रति बीते शुक्रवार देर शाम को उपलब्ध हुई थी।
दीपक कुमार स्वर्णकार ने संघमित्रा का पति होने का दावा किया
मामले के अनपसार दीपक कुमार स्वर्णकार ने संघमित्रा का पति होने का दावा किया है। कुमार के उत्पीड़न मामले में बार-बार समन और वारंट जारी होने के बावजूद आरोपी अदालत में पेश नहीं हुए, इसलिए अदालत ने यह आदेश पारित किया। अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 27 अगस्त तय की है।
संघमित्रा ने 2019 में की थी दूसरी शादी
हालांकी इससे पहले पीड़ीत दीपक द्वारा दायर एक शिकायत पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया पांचों आरोपियों के खिलाफ युवक दीपक पर हमला करने, उसे जान से मारने की धमकी देने और उसे खत्म करने की साजिश रचने का मामला बनता है। शिकायत में खुद को पत्रकार बताने वाले युवक ने आरोप लगाया है कि संघमित्रा ने 2019 के संसदीय चुनाव से पहले बौद्ध रीति-रिवाजों के साथ उसके साथ दूसरी शादी की थी और चुनाव के बाद उसे इस बारे में लोगों को बताने का आश्वासन भी दिया था।
सांसद बनने के बाद संघमित्रा ने उत्पीड़न करना शुरू किया
वहं दीपक ने अपनी शिकायत में कहा है, ‘‘लेकिन चुनाव के बाद संघमित्रा सांसद बन गईं और तब से उन्होंने और उनके पिता ने पुलिस और गुंडों की मदद से उनका उत्पीड़न शुरू कर दिया है।” मौर्य और संघमित्रा ने इन कार्यवाहियों को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था, लेकिन अदालत ने उनकी याचिकाओं को तब खारिज कर दिया था।
कानून की भाषा में समझें भगोड़े का अर्थ
देखा जाए तो आम बोलचाल की भाषा में भी ‘भगोड़ा’ शब्द इस्तेमाल होता है पर कानून इसको फरार व्यक्ति को कहा जाता है। भगोड़ घोषित आरोपी की संपत्ति भी कोर्ट द्वारा जब्त की जा सकती है। कानून के अनुसार, जब कोई व्यक्ति कोर्ट के आदेश के बावजूद भी सुनवाई में नहीं पहुंचता और कोर्ट के समन के बाद भी वहां पेश नहीं होता। तब ऐसे किसी केस में जिसमें वह आरोपित है, कोर्ट की नजर में जब जांच में सहयोग नहीं करता। तब ऐसी स्थिति में कोर्ट ऐसे किसी को भी भगोड़ा घोषित कर सकती है।