नई दिल्ली: टाटा ग्रुप भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक घराना है। अगर इसके मूल्यांकन की बात करें तो यह संभवतः पूरी दुनिया के सबसे बड़े व्यापारिक घरानों में से एक होता, ऐसे में टाटा ग्रुप की एक अहम योजना को देश के केंद्रीय बैंक RBI ने भी स्वीकार कर लिया है। अगर ऐसा न हुआ होता तो इसका असर पूरे देश की अर्थव्यवस्था, शेयर बाजार के साथ-साथ एशिया और वैश्विक स्तर पर भी देखने को मिलता, आइए समझते हैं इस पूरी कहानी को…
टाटा ग्रुप का कारोबार पूरी दुनिया में फैला हुआ है। इस पूरे कारोबार को इसकी होल्डिंग कंपनी टाटा संस संभालती है। टाटा संस को भारतीय रिजर्व बैंक ने 2022 में नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी-अपर लेयर (NBFC-UL) का दर्जा दिया था। जबकि उससे पहले अक्टूबर 2021 में RBI की एक गाइडलाइन आई थी कि देश की सभी NBFC-UL को सितंबर 2025 तक खुद को शेयर बाजार में लिस्ट करवाना होगा। यहीं से समस्या खड़ी हुई।
33,49,600 करोड़ रुपये का मूल्यांकन
अभी टाटा समूह की सिर्फ़ 26 कंपनियाँ ही शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध हैं। इसके अलावा कई अन्य कंपनियाँ हैं जो सीधे तौर पर होल्डिंग कंपनी टाटा संस के दायरे में आती हैं। टाटा संस का मूल्यांकन 400 बिलियन डॉलर (करीब 33,49,600 करोड़ रुपये) है। ऐसे में टाटा समूह को अनुमान था कि टाटा संस को शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध करने से शेयर बाज़ार में उथल-पुथल मच जाएगी और इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।
अगर इतनी बड़ी वैल्यूएशन वाली कंपनी शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होती है तो इसका असर भारतीय शेयर बाज़ार के साथ-साथ एशिया में भी देखने को मिलेगा। इसलिए टाटा समूह कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा था जिससे आरबीआई की गाइडलाइन का सम्मान हो सके और टाटा संस को सूचीबद्ध न होना पड़े, टाटा समूह ने 2017 में ही टाटा संस को प्राइवेट से पब्लिक लिमिटेड कंपनी में बदल दिया था।
टाटा ने आरबीआई के सामने पेश की ये योजना
टाटा समूह ने आरबीआई से टाटा संस को सूचीबद्ध न करने की छूट मांगी थी. इसके लिए उसने एक योजना पेश की। टाटा संस ने उस योजना के कुछ हिस्सों पर अमल भी शुरू कर दिया है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि अब टाटा संस का एनबीएफसी-यूएल का दर्जा खत्म हो जाएगा। साथ ही टाटा संस अपनी बैलेंस शीट को फिर से रिस्ट्रक्चर करेगी और आरबीआई के नियमों के मुताबिक खुद को जीरो-डेट कंपनी बनाएगी।
30 सितंबर 2023 तक टाटा संस पर करीब 15,200 करोड़ रुपये का नेट डेट था। जबकि अकेले कंपनी के पास करीब 2500 करोड़ रुपये का कैश रिजर्व है। इतना ही नहीं, भविष्य में टाटा संस जो भी निवेश करेगी, वह उसे मिलने वाले डिविडेंड और कैश रिजर्व से करेगी।
रतन टाटा से भी ली गई सलाह
ईटी की खबर के मुताबिक, लिस्टिंग से छूट के लिए आरबीआई से संपर्क करने से पहले टाटा संस ने रतन टाटा से भी सलाह ली थी। रतन टाटा टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस हैं। टाटा ट्रस्ट्स की टाटा संस में 66 फीसदी हिस्सेदारी है। इस ट्रस्ट की शुरुआत टाटा परिवार के लोगों ने की थी। टाटा ट्रस्ट्स में टाटा परिवार के कई अन्य ट्रस्ट शामिल हैं, जिनमें सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट सबसे बड़े हैं।