नई दिल्ली: बजट के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल-डीजल के दामों को जीएसटी के दायरे में लाने पर अपनी राय जाहिर की। एक टीवी चैनल से बातचीत में वित्त मंत्री ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमति जताते हुए कहा कि यह राज्य सरकारों पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकारें इस प्रस्ताव पर सहमत हो जाती हैं और उनके बीच उचित दर तय हो जाती है तो पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है।
क्या पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आएगा?
वित्त मंत्री ने कहा कि अगर राज्य सरकारों के बीच आम सहमति बनती है तो पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। इन पर वैट की जगह जीएसटी लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकारों के बीच तय दर पर आम सहमति बनती है तो पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल कर लिया जाएगा। राज्यों की सहमति के बाद इसे तुरंत लागू किया जा सकता है।
पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आने से क्या होगा
अगर पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आ जाता है तो इससे तेल की कीमतों में कमी आएगी। जीएसटी के दायरे में आने के बाद पेट्रोल और डीजल पर अलग-अलग टैक्स की जगह सिर्फ एक टैक्स लगेगा। जिससे कीमतों में कमी आने की उम्मीद है।
साथ ही पूरे देश में इसकी एक कीमत होगी। जीएसटी के दायरे में आने से पेट्रोल और डीजल पर अधिकतम 28 फीसदी टैक्स लगेगा, जो मौजूदा जीएसटी स्लैब में सबसे ज्यादा है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने साल 2022 में ही पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला राज्यों पर छोड़ दिया था। उस वक्त सरकार ने कहा था कि अगर राज्य कदम उठाते हैं तो केंद्र सरकार इसके लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए राज्यों में आम सहमति नहीं बन पा रही है।