नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदर्भ में कथित “शिवलिंग पर बिच्छू” टिप्पणी के लिए कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही रद्द करने से गुरुवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने मानहानि की कार्यवाही को चुनौती देने वाली थरूर की याचिका खारिज कर दी।
उच्च न्यायालय ने थरूर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी
उच्च न्यायालय ने 16 अक्टूबर, 2020 को मानहानि की शिकायत में थरूर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। इसने आज अपना अंतरिम आदेश रद्द कर दिया और संबंधित पक्षों को 10 सितंबर को निचली अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।
गुरुवार को आदेश सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा, “कार्यवाही रद्द करने का कोई आधार नहीं है।” थरूर ने निचली अदालत के 27 अप्रैल, 2019 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था। निचली अदालत ने भाजपा नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि शिकायत में थरूर को आरोपी के रूप में तलब किया था।
बब्बर ने थरूर के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी
उन्होंने 2 नवंबर, 2018 को दर्ज शिकायत को रद्द करने की भी मांग की थी। बब्बर ने थरूर के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी और दावा किया था कि कांग्रेस नेता के बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। अक्टूबर 2018 में, थरूर ने दावा किया था कि एक अनाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेता ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना “शिवलिंग पर बैठे बिच्छू” से की थी।
जून 2019 में ट्रायल कोर्ट ने संबंधित मामले में थरूर को जमानत दे दी थी। शिकायतकर्ता ने कहा था, “मैं भगवान शिव का भक्त हूं… हालांकि, आरोपी (थरूर) ने करोड़ों शिव भक्तों की भावनाओं का पूरी तरह से अनादर किया है (और) ऐसा बयान दिया है जिससे भारत और विदेशों में सभी भगवान शिव भक्तों की भावनाएं आहत हुई हैं।” भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि की सजा) के तहत शिकायत दर्ज की गई थी।