Sambhal Violence: संभल में फिर खुलेगी 1978 के दंगों की फाइल, एक हफ्ते में सौंपनी होगी रिपोर्ट

Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश के संभल में 1978 में हुए दंगों की फाइल 47 साल बाद दोबारा खुलने जा रही है. एसपी ने इसके लिए एक पत्र जारी किया है, जिसके मुताबिक, संभल जिला प्रशासन और पुलिस को दंगों की एक रिपोर्ट देनी होगी. प्रदेश सरकार ने संभल के ASP उत्तर को जांच अधिकारी के तौर पर नामित करने का निर्देश दिया है.

पीड़ितों ने सुनाई थी आपबीती

बता दें कि प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने सरकार को पत्र लिखकर संभल में हुए 1978 के दंगों की जांच की मांग की थी. इसके बाद राज्य सरकार ने संभल के डीएम और एसपी को पत्र के जरिए निर्देश जारी किया है. यहां 14 दिसंबर को कार्तिकेय महादेव मंदिर का 46 साल बाद ताला खुला. इसके बाद 1978 के दंगा पीड़ित सामने आए और अपनी आप बीती सुनाई थी.

CM योगी का आया था बयान

गौरतलब है कि पिछले महीने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक बयान सामने आया था कि जिसमें उन्होंने कहा था 1978 में हुए संभल दंगों में 184 लोगों की जान चली गई थी. ऐसे में कई लोग बेघर भी हुए थे. एक बार फिर से मामले की जांच हो रही है. अब देखना यह होगा कि मामले में मौत का आंकड़ा क्या निकलकर सामने आता है. साथ ही दंगों में कितने लोग बेघर हुए थे इस संख्या का भी पता लगेगा.

47 साल बाद भी नहीं भरे जख्म

संभल में हुई हिंसा को 47 साल बीत चुके हैं, लेकिन उनके जख्म अभी भी नहीं भरे हैं. संभल के नखासा इलाके में मुरारी की फड़ है. यहीं पर दंगे से बचने के लिए कई हिन्दू छुपे हुए थे, जिसमें से 25 हिंदुओं को जिंदा जलाया गया था. SP संभल के मुताबिक ये नरसंहार एक दो नहीं बल्कि कई दिनों तक जारी रहा. इसमें कुल 184 लोगों  की जान गई थी.

इसी दौरान संभल में कई दिनों तक कर्फ्यू लगा हुआ था. बताया जाता है कि दंगा इतना भयावह था कि संभल में चारों तरफ आगजनी हो रही थी और इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय हिन्दू आबादी पलायन करने को मजबूर हो गई. ऐसे में वर्तमान में आबादी 45 प्रतिशत से घटकर 15 फीसदी पहुंच चुकी है.

इसलिए जरूरी है जांच

संभल के दंगों में लोगों की लाशें सड़कों पर बिछ गई थीं. दंगों के बाद सैकड़ों हिंदू इतने खौफ में आ गए थे कि उन्होंने पलायन करना शुरू कर दिया था. ऐसे में इन दंगों के दोबारा जांच करने का मकसद सिर्फ यही है कि इसमें उन लोगों के नाम सामने लाए जाएं राजनीतिक या किसी भी कारणों से दबा दिए गए हैं. इतना ही नहीं, सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन दंगों के बाद बेघर हुए लोगों की वास्तविक संख्या भी सामने लाने की जद में है.

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