लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस को लेकर सख्त है। यही वजह है कि सरकार अफसरों और कर्मचारियों पर नकेल कसने के लिए उनकी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा तलब कर रही है। प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया और प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी अफसरों को पत्र लिखकर अपनी संपत्ति का ब्योरा निदेशालय में जमा कराने का आदेश दिया है। इसके बाद ही उन्हें अगस्त माह का वेतन दिया जाएगा।
सरकार ने चल-अचल संपत्ति का ब्योरा न देने वाले अफसरों और राज्य कर्मचारियों का अगस्त माह का वेतन रोकने का फैसला किया है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से जारी शासनादेश में कहा गया है कि 31 अगस्त तक संपत्ति का ब्योरा देने वालों को ही वेतन दिया जाएगा।
प्रदेश में कर्मचारियों की संख्या 17 लाख 88 हजार 429 है। इसमें से करीब 26 फीसदी ने ही ऑनलाइन ब्योरा दिया है। आईएएस और पीसीएस के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने सभी श्रेणी के अधिकारियों और कर्मियों के लिए चल-अचल संपत्ति का ऑनलाइन ब्योरा देना अनिवार्य कर दिया है। कार्मिक विभाग की ओर से जारी शासनादेश में पहले इसे 30 जून तक अनिवार्य किया गया था। कहा गया था कि संपत्ति का ब्योरा न देने वालों को पदोन्नति नहीं दी जाएगी। फिर समय सीमा बढ़ाकर 31 जुलाई कर दी गई।
केवल 26 फीसद ने दिया ब्योरा
मुख्य सचिव की ओर से मंगलवार को जारी शासनादेश में कहा गया कि मानव संपदा पोर्टल की समीक्षा में सामने आया है कि स्पष्ट निर्देश के बावजूद सभी कर्मचारियों ने संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है। यह असंतोषजनक स्थिति है। मुख्य सचिव ने बताया कि विभागाध्यक्षों को भेजे निर्देश में कहा गया कि इस बारे में मुख्य सचिव कार्यालय को भी अवगत कराया जाएगा। कार्मिक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मानव संपदा पोर्टल पर पंजीकृत कुल अधिकारियों और कर्मचारियों में से मात्र 26 फीसद ने ही ब्योरा दिया है। ऐसे कर्मचारियों ने कार्मिक विभाग को प्रत्यावेदन दिया है।
31 अगस्त तक अंतिम मौका
मानव संपदा पोर्टल पर कार्मिकों की परिसंपत्तियों का ब्यौरा प्रस्तुत करने की प्रक्रिया पहली बार की जा रही है। इसलिए शुरुआती दिक्कतों को देखते हुए 31 अगस्त तक अंतिम मौका दिया जा रहा है। साथ ही कहा कि कुछ कार्मिकों ने वर्ष 2023 की जगह वर्ष 2024 का ब्यौरा दर्ज कर दिया है, जबकि यह दिसंबर 2024 तक देना है।