Moidam of Assam included in UNESCO World Heritage List: असम में अहोम वंश के सदस्यों को उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ टीलेनुमा ढांचे में दफनाने की व्यवस्था ‘मोइदम’ को शुक्रवार को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। इसी के साथ ‘मोइदम’ इस सूची में जगह बनाने वाली पूर्वोत्तर भारत की पहली सांस्कृतिक संपत्ति बन गई।
विश्व धरोहर समिति 46वें सत्र में निर्णय लिया गया
यह निर्णय भारत में आयोजित किए जा रहे विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र में लिया गया। भारत ने 2023-24 के लिए यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने के लिए देश की ओर से नामांकन के रूप में ‘मोइदम’ का नाम दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताई खुशी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह भारत के लिए बेहद खुशी और गर्व की बात है कि ‘मोइदम’ ने डब्ल्यूएचसी सूची में जगह बनाई है। उन्होंने कहा, चराई देव स्थित मोइदम उस गौरवशाली अहोम संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं, जो अपने पूर्वजों के प्रति अपार श्रद्धा रखती है। मुझे उम्मीद है कि महान अहोम शासन और संस्कृति के बारे में और अधिक लोग जानेंगे। मुझे खुशी है कि मोइदम को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
‘मोइदम’ पिरामिड सरीखी अनूठी टीलेनुमा संरचनाएं हैं
‘मोइदम’ पिरामिड सरीखी अनूठी टीलेनुमा संरचनाएं हैं, जिनका इस्तेमाल ताई-अहोम वंश द्वारा अपने राजवंश के सदस्यों को उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ दफनाने के लिए किया जाता था। ताई-अहोम राजवंश ने असम पर लगभग 600 साल तक शासन किया था। यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार, ‘मोइदम’ गुंबददार कक्ष (चाव-चाली) हैं, जो आमतौर पर दो मंजिला हैं और इनमें प्रवेश के लिए एक धनुषाकार मार्ग होता है। अर्धगोलाकार मिट्टी के टीलों के ऊपर ईंटों और मिट्टी की परतें बिछाई जाती हैं। ‘मोइदम’ को विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने के बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज का दिन स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने जताया आभार
शेखावत ने ‘मोइदम’ के असाधारण सार्वभौमिक मूल्य को समझने के लिए संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) और विश्व धरोहर समिति का आभार जताया। डब्ल्यूएचसी का सत्र 21 जुलाई से 31 जुलाई तक यहां भारत मंडपम में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें दुनियाभर से प्राप्त 27 नामांकनों की समीक्षा की जाएगी, जिनमें 19 सांस्कृतिक स्थल, चार प्राकृतिक स्थल और दो मिश्रित स्थल शामिल हैं। भारत पहली बार यूनेस्को के इस अहम कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है।
मोइदम क्या है?
मोइदम असम के अहोम राजवंश से जुड़ा एक अनूठा दफनाने का रिवाज है। अहोम राजाओं और उनके परिवार के सदस्यों को मृत्यु के बाद इन मोइदमों में दफनाया जाता था। इनमें मृतक के साथ उनके व्यक्तिगत सामान, हथियार, गहने और अन्य महत्वपूर्ण वस्तुएं भी रखी जाती थीं। ये मोइदम बांस और लकड़ी से बने होते थे, जिन्हें बाद में मिट्टी से ढक दिया जाता था।
क्यों है मोइदम खास?
- सांस्कृतिक महत्व: मोइदम अहोम सभ्यता के धार्मिक विश्वासों और सामाजिक संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
- अद्वितीय वास्तुकला: मोइदम की वास्तुकला अद्वितीय है और यह पूर्वोत्तर भारत की प्राचीन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- ऐतिहासिक महत्व: मोइदम अहोम राजवंश के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
क्यों है मोइदम खास?
- सांस्कृतिक महत्व: मोइदम अहोम सभ्यता की समृद्ध संस्कृति और परंपरा का प्रतीक हैं।
- ऐतिहासिक महत्व: ये टीले इतिहासकारों के लिए अहोम राजवंश के बारे में जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
- अद्वितीय वास्तुकला: मोइदम की वास्तुकला अद्वितीय है और यह पूर्वोत्तर भारत की वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल क्यों?
यूनेस्को ने मोइदम को विश्व धरोहर सूची में इसलिए शामिल किया क्योंकि यह एक अद्वितीय सांस्कृतिक संपत्ति है जो मानव सभ्यता के इतिहास को दर्शाती है। मोइदम को विश्व धरोहर सूची में शामिल होने से असम का पर्यटन उद्योग भी बढ़ेगा।
मोइदम का संरक्षण
मोइदम को विश्व धरोहर सूची में शामिल होने के बाद अब इसके संरक्षण पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। सरकार और अन्य संगठन मिलकर मोइदम को संरक्षित करने के लिए काम करेंगे।
लखक: सोनू वर्मा