लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद से ही भाजपा में मंथन का दौर जारी है। उम्मीद से कमजोर रिजल्ट को लेकर भाजपा नेताओं का कहना है कि इसकी 7 वजहें हैं। इनमें से एक विदेशी हाथ होना भी है।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा की उम्मीदों से कमतर रहे हैं और उसके बाद से ही पार्टी में मंथन का दौर जारी है। राज्यों में पार्टी कार्यसमिति की बैठकें कर रही है, जिनमें चुनाव नतीजों की समीक्षा की जा रही है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में अब तक मीटिंग्स हो चुकी हैं। इन बैठकों में कुछ दिलचस्प सवाल भी उठे हैं कि आखिर भाजपा को चुनाव में ऐसे नतीजे क्यों देखने पड़े। इन बैठकों में राज्य के नेताओं के अलावा केंद्रीय स्तर से भी नेताओं को पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा जा रहा है। यूपी में तो पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद मौजूद थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन समीक्षा बैठकों में 7 बातें प्रमुखता से कही जा रही हैं।
आरक्षण खत्म करने की अफवाह बनी यह कारण
इन मीटिंगों में एक बात यह सभी ने कही कि विपक्ष की ओर से संविधान बदलने और उसके आधार पर आरक्षण खत्म करने की अफवाह फैलाई गई। इसका असर यूपी, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में देखने को मिला, जहां ओबीसी और दलित वर्ग की अच्छी खासी आबादी है। उत्तर प्रदेश की मीटिंग में यह बात कही गई। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी ऐसी ही चर्चा हुई। वहां तो सीएम एकनाथ शिंदे ने भी कहा कि इन अफवाहों के चलते नतीजे खराब आए हैं। उन्होंने माना कि एनडीए विपक्ष की ओर से फैलाई गई इन अफवाहों की काट नहीं कर सका।
लोकसभा चुनाव में विदेशी ताकतों का दखल था
आमतौर पर ऐसा आरोप कम ही मिलता है, लेकिन भाजपा की मीटिंग्स में कहा जा रहा है कि इस लोकसभा चुनाव में विदेशी ताकतों का दखल था। राजस्थान में हुई समीक्षा बैठक में यह सवाल उठा था। वहां शिवराज सिंह चौहान और विनय सहस्रबुद्धे की मौजूदगी में हुई मीटिंग में कहा गया कि इन चुनावों में विदेशी हाथ था। विदेशी ताकतें चाहती हैं कि भारत से भाजपा और मोदी के शासन को खत्म कर दिया जाए। बता दें कि रविवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ऐसा ही संकेत दिया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को परजीवी कहा
चुनाव नतीजे आने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को परजीवी कहा था। उनका कहना था कि कांग्रेस के पास कोई ताकत नहीं है, लेकिन साथी दलों की मदद से वह बढ़ी है। यही बात पार्टी के नेता अब हर राज्य में दोहरा रहे हैं। सभी समीक्षा बैठकों में एकसुर से कहा गया कि कांग्रेस के 99 तक पहुंचने की वजह गठबंधन है। यूपी, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उसे गठबंधन का फायदा मिला है और सरकार के खिलाफ जाने वाला वोट जब एकजुट हुआ तो भाजपा को नुकसान हुआ और कांग्रेस फायदा ले गई। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कितने दिन चलेगी? यह सवाल विपक्ष अकसर उठाता है, लेकिन भाजपा लगातार बोल रही है कि सहयोगी दल मजबूती से उसके साथ खड़े हैं। टीडीपी और जेडीयू की मांगों पर बजट में जोर भी दिया जा सकता है।
क्या ब्रांड मोदी पर असर पड़ा है, क्या कहते हैं नेता
क्या इन चुनाव नतीजों ने ब्रांड मोदी पर सवाल खड़े किए हैं? भाजपा में सभी नेता एकजुटता के साथ पीएम नरेंद्र मोदी का जलवा कायम रहने की बात कर रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि पार्टी ने आत्मविश्वास, आपसी कलह की वजह से नुकसान उठाया है, लेकिन नरेंद्र मोदी का जलवा जनता के बीच पहले की तरह कायम है। महाराष्ट्र में तो देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा तक देने को कह दिया था और खराब नतीजों की जिम्मदारी भी ली थी।
योगी बोले- अतिआत्मविश्वास में आ गए हमारे लोग
अतिआत्मविश्वास के चलते हार की बात भाजपा में लगातार कही जा रही है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा कि हम लोग अतिआत्मविश्वास में आ गए। इसी का नतीजा है कि चुनाव नतीजों के बाद अब जो विपक्ष कहीं कोने में बैठा था, वह अब उछल रहा है।
आपसी कलह का भी जिक्र, मुजफ्फरनगर का उदाहरण
भाजपा में आपसी कलह की बातें खूब कही जा रही हैं। समीक्षा बैठकों में भी इसका जिक्र हुआ। इसके अलावा यूपी में पिछले दिनों संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी आए थे। इस दौरान कई नेताओं ने कहा कि हमने आपसी कलह के चलते तमाम सीटें गंवा दीं। मुजफ्फरगर जैसी हाईप्रोफाइल सीट की तो खूब चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि यहां संगीत सोम और संजीव बालियान के बीच आपसी कलह के चलते नतीजा खिलाफ आया है।