नई दिल्ली। देशभर में आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। अब इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। एक तरफ जहां सत्ता पक्ष इन नए कानूनों को भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में सकारात्मक सुधार लाने का प्रयास बता रहा है, वहीं विपक्ष ने इसे पुलिस राज बताते हुए इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
कानूनों से इस देश में पुलिस राज स्थापित होगा
#WATCH दिल्ली: 3 नए आपराधिक कानूनों पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, "…ये कानून इस देश में पुलिस राज की स्थापना करेंगे। ये आज से दो सामानांतर फौजदारी की प्रणालियों को जन्म देंगे। 30 जून 2024 की रात 12 बजे तक जो फौजदारी के मुकदमे लिखे गए हैं और अदालतों के संज्ञान में हैं,… pic.twitter.com/0LJeGQmJM7
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 1, 2024
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आज लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है, जिसका उद्देश्य 1 जुलाई 2024 से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों पर चर्चा करना है। उन्होंने कहा कि ये कानून इस देश में पुलिस राज स्थापित करेंगे। ये आज से दो समानांतर आपराधिक व्यवस्थाओं को जन्म देंगे।
3.4 करोड़ मामले लंबित
‘भारत की न्याय व्यवस्था में 3.4 करोड़ मामले लंबित हैं, जिनमें से अधिकांश आपराधिक मामले हैं। इसलिए, इससे बहुत बड़ा संकट पैदा होने वाला है। इन कानूनों को फिर से संसद के समक्ष रखा जाना चाहिए और संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए और फिर क्रियान्वयन के लिए भेजा जाना चाहिए।’
3 नए कानून पुलिस की मनमानी को बढ़ावा देंगे: आप
तीनों नए आपराधिक कानूनों पर दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मेरा मानना है कि कानूनों में कोई खामी नहीं है। खामियां उनके क्रियान्वयन और जांच एजेंसियों में हैं। पुलिस उन कानूनों पर कार्रवाई नहीं करती। मुझे लगता है कि आने वाले कई सालों तक नए कानूनों को लेकर काफी भ्रम की स्थिति बनी रहेगी।
#WATCH 3 नए आपराधिक कानूनों पर दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा," मेरा मानना है कि कानूनों में कोई खामी नहीं थी।खामियां उनके कार्यान्वयन में, जांच एजेंसियों में हैं, पुलिस उन कानूनों पर कार्रवाई नहीं करती…मुझे लगता है कि नए कानूनों के साथ आने वाले कई वर्षों तक बहुत भ्रम… pic.twitter.com/djyvPPmGHC
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एक आम नागरिक जिसने कुछ कानूनों को बड़ी मुश्किल से समझा है, उसे अपना मामला दर्ज कराने में दिक्कत होगी। इससे पुलिस की मनमानी को बढ़ावा मिलेगा।
164 साल पुराने कानून बदलेंगे
वहीं, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने तीन नए आपराधिक कानूनों को भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण क्षण बताया है। उन्होंने सोशल साइट एक्स पर लिखा कि भारतीय न्यायिक संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 164 साल पुराने औपनिवेशिक कानूनों की जगह लागू हो गए हैं।
बच्चों और वंचितों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई
इसके साथ ही हमारा गणतंत्र आधुनिक तकनीक और नागरिक-केंद्रित सेवाओं के इर्द-गिर्द एक नई व्यवस्था में प्रवेश कर गया है। इन कानूनों में महिलाओं, बच्चों और वंचितों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। पिछले कई महीनों में, टीम असम ने नए कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में व्यापक तैयारी की है। पुलिस, सिविल सेवकों, नागरिकों, वकीलों, नागरिक समाज और न्यायपालिका के सदस्यों सहित सभी हितधारकों से मेरी ईमानदारी से अपील है कि वे हमारे साथ सहयोग करें ताकि हम सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित कर सकें कि ये कानून अपने मूल उद्देश्य की पूर्ति करें।