यूसीसी पर जदयू : लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को प्रमुखता दी थी। हालाँकि, चुनाव नतीजों में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण पार्टी समान नागरिक संहिता का कानून बनाने के लिए नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी पर निर्भर हो गई है। केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (मीडिया को) ने मंगलवार को यूसीसी पर बयान दिया। उनके इस बयान पर जेडीयू की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है।
मेघवाल के बयान पर जदयू के राष्ट्रीय महासचिव ने प्रतिक्रिया दी
केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (मीडिया) अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को पदभार ग्रहण करते हुए कहा कि यूसीसी अभी भी सरकार के एजेंडे में है। और हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या होता है। उनके इस बयान पर जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने बुधवार को यूसीसी में प्रतिक्रिया व्यक्त की। एक अखबार से बातचीत में त्यागी ने कहा, ‘जेडीयू यूसीसी के खिलाफ नहीं है, लेकिन हम इस मुद्दे पर आम सहमति चाहते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में यूसीसी पर विधि आयोग को पत्र लिखा था।
यूसीसी पर बननी चाहिए आम सहमति: नीतीश कुमार
2017 में अपने पत्र में नीतीश कुमार ने लिखा था, ‘सरकार को समान नागरिक संहिता लाने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रयास को स्थायी एवं टिकाऊ बनाने के लिए व्यापक सहमति बनायी जानी चाहिए। इसे किसी शासनादेश द्वारा थोपा नहीं जाना चाहिए।’ इसके अलावा जेडीयू ने यह भी कहा है कि यूसीसी को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में नहीं बल्कि एक सुधार के रूप में देखा जाना चाहिए।’ वहीं, 16 सांसदों के साथ एनडीए में दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी टीडीपी ने कहा है कि ‘यूसीसी जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए और समाधान होना चाहिए।’