शिव के भक्तों के लिए कावड़ यात्रा किसी तीर्थ यात्रा से कम नहीं होती। ऐसे में जो भक्त कांवड़ लेकर जाते हैं उन्हें कांवड़ियां कहा जाता है। यह यात्रा बेहद कठिन और मुश्किल होती है क्योंकि इस यात्रा में भक्त पैदल चलते हैं। हर साल कांवड़ियां लाखों की तादात में हरिद्वार जाते हैं और वहां से गंगाजल लाकर शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को चढ़ाते हैं। ऐसे में बता दें कि जो लोग कांवड़ लेकर आते हैं यदि वे कुछ गलतियां करें तो इससे यात्रा सफल नहीं बल्कि असफल हो सकती है। आज का हमारा आर्टिकल इन्हीं बिंदुओं पर है। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे कि कांवड़ियों को यात्रा के दौरान किन चीजों को करने से बचना चाहिए। पढ़ते हैं आगे…
कब से हैं कांवड़?
बता दें कि कावड़ यात्रा सावन महीने से शुरू होती है। ऐसे में इस साल सावन की शुरुआत 22 जुलाई दिन सोमवार को हो रही है। कावड़ की यात्रा भी 22 जुलाई से ही शुरू हो रही है। वहीं शिवरात्रि 2 अगस्त को है यानी यात्रा का समापन भी 2 अगस्त को ही होगा।
1. तैयारी में कमी
- शारीरिक तैयारी: कांवड़ यात्रा एक कठिन यात्रा है। इसके लिए मजबूत शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। यदि आप यात्रा के लिए पर्याप्त रूप से तैयार नहीं हैं, तो आप थकान, बीमारी या चोटों का सामना कर सकते हैं, जिससे आपकी यात्रा बाधित हो सकती है।
- मानसिक तैयारी: यात्रा के दौरान आपको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मानसिक रूप से मजबूत रहना और धैर्य रखना महत्वपूर्ण है। नकारात्मक विचारों से बचें और सकारात्मक रहें।
2. अनुशासनहीनता
- नियमों का पालन न करना: कांवड़ यात्रा के दौरान कई नियमों का पालन करना होता है, जैसे कि सादा भोजन करना, शराब और मांस का सेवन नहीं करना, और ब्रह्मचर्य का पालन करना। यदि आप इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो यह आपके आध्यात्मिक अनुभव को बाधित कर सकता है।
- अनुचित व्यवहार: दूसरों के प्रति विनम्र और सम्मानजनक व्यवहार करें। क्रोध, घमंड, और ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाओं से बचें।
3. सुरक्षा में लापरवाही
- यातायात नियमों का उल्लंघन: सड़कों पर चलते समय या वाहन चलाते समय सावधानी बरतें। यातायात नियमों का पालन करें और अपनी और दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखें।
- अपनी चीजों का ध्यान न रखना: अपनी चीजों का ध्यान रखें और उन्हें कहीं भी लावारिस न छोड़ें। भीड़भाड़ वाले स्थानों में विशेष रूप से सतर्क रहें।
4. पर्यावरण का ध्यान न रखना
- कूड़ा-करकट फैलाना: अपने आसपास कूड़ा-करकट न फैलाएं। प्लास्टिक का उपयोग कम करें और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें।
- जल प्रदूषण: नदियों और जल स्रोतों को प्रदूषित न करें। गंदगी न फैलाएं और पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करें।
5. आध्यात्मिक लक्ष्य से भटकना
- भौतिक सुखों की लालसा: यात्रा का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति है। भौतिक सुखों और सांसारिक इच्छाओं की लालसा से बचें।
- अहंकार और घमंड: यात्रा के दौरान विनम्र और नम्र बने रहें। दूसरों की तुलना में खुद को ऊँचा न समझें।
याद रखें: कांवड़ यात्रा एक आध्यात्मिक यात्रा है, न कि पर्यटन यात्रा। धैर्य, अनुशासन, और समर्पण के साथ यात्रा करें। इन गलतियों से बचकर आप अपनी यात्रा को सफल और फलदायी बना सकते हैं।