लखनऊ: माता प्रसाद पांडेय ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में इंद्रजीत सरोज, राम अचल राजभर और तूफानी सरोज को हराकर जीत हासिल की है। माता प्रसाद पांडेय को समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बनाने का ऐलान किया है।
माता प्रसाद सिद्धार्थनगर की इटवा सीट से विधायक हैं। वे 7 बार विधायक रह चुके हैं। वे दो बार विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। माता प्रसाद यादव परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं। ऊंचाहार विधायक मनोज पांडेय के सपा से बगावत करने के बाद सपा के पास कोई बड़ा ब्राह्मण चेहरा नहीं था। ऐसे में अखिलेश ने माता प्रसाद पांडेय को अहम पद देकर सपा को मुस्लिम-यादव से आगे ले जाने की कोशिश की है।
अखिलेश ने अमरोहा सीट से विधायक महबूब अली को सभापति, मुरादाबाद की कांठ सीट से कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक और प्रतापगढ़ से राकेश कुमार उर्फ आरके वर्मा को विधानसभा का उप सचेतक नियुक्त किया है।
उन्हें नेता प्रतिपक्ष क्यों चुना गया?
आपको बता दें कि माता प्रसाद सपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। अखिलेश विपक्ष के नेता की कुर्सी के लिए शिवपाल के नाम पर सहमत नहीं थे। ऐसे में माता प्रसाद ही वो नाम हैं, जिनका पार्टी कैडर में कोई विरोध नहीं है। प्रसाद मुलायम और अखिलेश सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में वो सीएम योगी और बीजेपी के 255 विधायकों को टक्कर दे सकते हैं।
शिवपाल खुद नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते थे। ऐसे में अगर कोई दूसरा नेता बनता तो शिवपाल के कद के सामने वो कमजोर पड़ सकता था। जबकि माता प्रसाद भी शिवपाल के करीबी रहे हैं। अखिलेश लगातार पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक की राजनीति कर रहे हैं। ऐसे में माता प्रसाद पांडेय के जरिए वो सवर्णों के वोट बैंक में भी सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
कैसे हुआ फैसला
अखिलेश यादव ने आज विधायक दल की बैठक बुलाई थी, जिसमें नेता प्रतिपक्ष का नाम तय होना था। अखिलेश सुबह 11 बजे बैठक में पहुंचे। वहां विधायकों ने सपा मुखिया से नेता प्रतिपक्ष पर अंतिम फैसला लेने को कहा। शिवपाल के नाम पर ज्यादातर विधायक सहमत थे, लेकिन परिवार के आरोपों के चलते अखिलेश शिवपाल को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाना चाहते थे। इसके बाद दो नाम सामने आए। इंद्रजीत सरोज और तूफानी सरोज। इंद्रजीत सरोज के नाम पर सहमति नहीं बन पाई, क्योंकि वे 2018 में ही बसपा छोड़कर सपा में शामिल हुए थे। सपा के वरिष्ठ नेता उनके नाम पर सहमत नहीं थे। उनका कहना था कि इंद्रजीत बसपा से आए हैं, इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाएगा।
वहीं तूफानी सरोज को लेकर यह बात सामने आई कि वे विधानसभा में सीएम योगी एंड टीम का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। वजह यह है कि तूफानी सरोज शांत स्वभाव के नेता माने जाते हैं, लाइमलाइट में नहीं रहते। अखिलेश ने पहले सपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की, लेकिन नाम तय नहीं हो सका। शिवपाल यादव भी सपा मुख्यालय से चले गए। इसके बाद अखिलेश ने चुनिंदा नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें माता प्रसाद के नाम पर मुहर लगी।