नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा पद्धति के राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएसएम) ने अगले शैक्षणिक सत्र से देशभर के आयुष कॉलेजों में शिक्षक बनने के लिए पात्रता परीक्षा (राष्ट्रीय शिक्षण पात्रता परीक्षा-एनटीईटी) अनिवार्य कर दी है। इस संबंध में आयोग ने इसी साल अप्रैल में अधिसूचना जारी की थी।
पहले इसे लागू करने की प्रक्रिया को टालने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अब इसे तय समय पर लागू किया जा रहा है। 24 सितंबर 2024 से डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो गया है, जो इस पात्रता परीक्षा के लिए जरूरी है। इस परीक्षा का उद्देश्य आयुष कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना और योग्य शिक्षकों का चयन सुनिश्चित करना है।
देश भर में 494 आयुर्वेद और कुल 750 आयुष कॉलेज हैं, जिनमें शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (एनटीईटी) को अनिवार्य करने का फैसला किया है। यह पात्रता परीक्षा उन नए अभ्यर्थियों के लिए जरूरी होगी, जो आयुष कॉलेजों में शिक्षक बनना चाहते हैं।
परीक्षा को पास करने की अनिवार्यता से छूट दी गई
हालांकि, पहले से कार्यरत शिक्षकों को इस परीक्षा को पास करने की अनिवार्यता से छूट दी गई है। आयुष शिक्षण संस्थानों में योग्य और सक्षम शिक्षकों का चयन सुनिश्चित करने और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (एनटीईटी) पास करने वाले डॉक्टरों को ही शिक्षक कोड प्रदान किया जाएगा और इसी कोड के आधार पर वे आयुष कॉलेजों में फैकल्टी के तौर पर नियुक्ति के पात्र होंगे। इस परीक्षा के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 14 अक्टूबर है।
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडे के मुताबिक, इस परीक्षा में देशभर से करीब 5,000 आयुष पीजी डिग्रीधारकों के शामिल होने की उम्मीद है। इस नई व्यवस्था के लागू होने से आयुष शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आने की उम्मीद है, क्योंकि शिक्षकों की योग्यता सुनिश्चित करने की दिशा में यह कदम अहम माना जा रहा है।