वाशिंगटन। अमेरिका में भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडो की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही हैं। ये कमांडो मित्र देशों की कमांडो टीम के साथ हथियार लेकर गश्त, आतंकवाद निरोधक और एंटी-पायरेसी मिशन को अंजाम देते नजर आ रहे हैं। भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडो की एक टीम इस समय अमेरिका के हवाई में मौजूद है। ये कमांडो कई देशों के मरीन कमांडो के साथ दुनिया के सबसे बड़े युद्ध अभ्यास RIMPAC-2024 में हिस्सा ले रहे हैं।
मार्कोस कमांडो टीम ने लाइव फायर ड्रिल में हिस्सा लिया
मार्कोस कमांडो टीम ने RIMPAC-2024 के दौरान अन्य देशों की नौसेना कमांडो इकाइयों के साथ लाइव फायर ड्रिल में हिस्सा लिया। इस दौरान कमांडो टीम को एक काल्पनिक दुश्मन पर अपनी फायर पावर को परखने का मौका दिया गया। भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडो ने RIMPAC-2024 के दौरान एंटी-पायरेसी और अपहरण मिशन में भी हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने समुद्री जहाजों पर एंटी-हाइजैकिंग मिशन को अंजाम दिया।
टीम ने RIMPAC-2024 के दौरान जंगल युद्ध का भी अभ्यास किया
कमांडो टीम ने RIMPAC-2024 के दौरान जंगल युद्ध का भी अभ्यास किया। इस दौरान RIMPAC में भाग लेने वाले कई मित्र देशों के कमांडो भी मौजूद थे। मरीन कमांडो को संक्षेप में MARCOS कहा जाता है। इन्हें आधिकारिक तौर पर मरीन कमांडो फोर्स (MCF) कहा जाता है। ये भारतीय नौसेना के विशेष बल हैं। MARCOS की स्थापना फरवरी 1987 में हुई थी। MARCOS सभी तरह के वातावरण जैसे समुद्र, हवा और जमीन पर काम करने में सक्षम हैं।
मार्कोस कमांडो टीम हर मौसम में सटीक रहती है
मार्कोस कमांडो ने भारतीय शांति सेना के हिस्से के रूप में श्रीलंका में जाफना और त्रिंकोमाली के बंदरगाहों पर कब्जा करने में मदद की। इस दौरान, मार्कोस ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) बेस के खिलाफ एक सफल छापेमारी मिशन को अंजाम दिया। मार्कोस कमांडो को ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है कि वे हर तरह के मौसम और जगह में खुद को सुरक्षित रखते हुए मिशन को अंजाम दे सकें।
क्लोज कॉम्बैट टैक्टिक्स में माहिर होते हैं कमांडो
मार्कोस कमांडो को आतंकियों का खात्मा करने वाला कहा जाता है। ये कमांडो क्लोज कॉम्बैट टैक्टिक्स में माहिर होते हैं। इसके अलावा ये शहरी इलाकों में भी हथियारबंद ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं। मार्कोस कमांडो टीम की तुलना अमेरिकी नेवी सील से की जाती है। नेवी सील अमेरिका की स्पेशल कमांडो यूनिट है। इसी टीम का इस्तेमाल पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के खात्मे में किया गया था।