नई दिल्ली: चीन पिछले दो दशक से भी अधिक समय से दुनिया की फैक्ट्री बना हुआ है और हाल फिलहाल उसका कारवां रुकने वाला नहीं है। दुनियाभर के बाजार चीन से आ रहे सस्ते सामान से पटे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 में ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग में चीन की हिस्सेदारी बढ़कर 45 फीसदी हो जाएगी। साल 2000 में ग्लोबल मैन्यूफैकरिंग वैल्यू एडेड (MVA) में चीन की हिस्सेदारी महज 6% थी। लेकिन जब चीन 2001 में डब्ल्यूटीओ से जुड़ा तो सबकुछ बदल गया। आर्थिक सुधारों और स्किल्ड वर्कफोर्स के दम पर चीन ग्लोबल मैन्यूफैक्चरर बनकर उभरा।
संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2030 में ग्लोबल एमवीए में चीन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 45 फीसदी पहुंच जाएगी। तब दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश अमेरिका की हिस्सेदारी घटकर महज 11 फीसदी रह जाएगी। इसी तरह जापान की हिस्सेदारी 5 फीसदी, जर्मनी और साउथ कोरिया की 3-3 फीसदी रहने का अनुमान है। साल 2030 में ग्लोबल एमवीए में दूसरे हाई इनकम देशों की हिस्सेदारी 16 फीसदी, अपर मिडिल इनकम देशों की हिस्सेदारी 8 परसेंट और लो तथा लोअर मिडिल इनकम देशों की हिस्सेदारी 9 फीसदी होगी।
25 साल पहले का हाल
अगर साल 2000 की बात करें तो तब ग्लोबल एमवीए में अमेरिका की हिस्सेदारी सबसे अधिक 25 फीसदी थी। जापान 11 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर था जबकि जर्मनी की आठ फीसदी हिस्सेदारी थी। उस दौर में चीन छह फीसदी के साथ चौथे नंबर पर था। इटली की 4 फीसदी, फ्रांस और यूके की 3-3 फीसदी हिस्सेदारी थी। दूसरे हाई इनकम देशों की हिस्सेदारी 25 साल पहले 21 फीसदी, अपर मिडिल इनकम देशों की 14 फीसदी और लो तथा लोअर मिडल इनकम देशों की हिस्सेदारी 5 फीसदी होगी।