भारत और पाकिस्तान के बीच समुद्री सीमा पर मछुआरों की गिरफ्तारी और उनके परिवारों की चिंता को लेकर संसद में चर्चा का मुद्दा बना है। भारत सरकार ने संसद में जानकारी दी कि पाकिस्तान की जेलों में 211 भारतीय मछुआरे बंद हैं, जिनमें से 139 मछुआरे गुजरात के हैं। इन मछुआरों की स्थिति और उनके परिवारों से संपर्क में आ रही कठिनाइयों को लेकर कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने चिंता जाहिर की।
पाकिस्तान ने संचार की सुविधा बंद की गोहिल ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने मछुआरों और उनके परिवारों के बीच संवाद के लिए जो पत्राचार सुविधा थी, उसे बंद कर दिया है। यूपीए शासन में इस सुविधा के तहत परिवारों को मछुआरों की स्थिति की जानकारी मिल जाती थी, लेकिन अब यह प्रथा समाप्त हो चुकी है। गोहिल ने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते हुए सरकार से इस मामले में शीघ्र कदम उठाने की मांग की।
गलती से सीमा पार कर जाते हैं मछुआरे गुजरात की तटरेखा पाकिस्तान के समुद्री सीमा के साथ सटी हुई है। मछुआरे अक्सर अनजाने में समुद्री सीमा रेखा पार कर जाते हैं और पाकिस्तान के अधिकारी उन्हें पकड़ लेते हैं। दो सप्ताह पहले, पाकिस्तान ने गुजरात के सात मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया था, हालांकि भारतीय तटरक्षक बलों ने उन्हें बचा लिया। लेकिन कई बार, मछुआरे बिना किसी अपराध के वर्षों तक पाकिस्तानी जेलों में बंद रहते हैं।
मछुआरों की रिहाई के लिए सरकार को उठाने होंगे कदम गोहिल ने मांग की कि भारतीय सरकार को मछुआरों की रिहाई के लिए जल्दी और प्रभावी कदम उठाने चाहिए। उन्होंने सरकार से स्पेशल लीगल एडवाइजर की नियुक्ति की अपील की, ताकि इन मामलों में त्वरित कार्रवाई हो सके। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को राजनयिक स्तर पर प्रयास तेज करने चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी मछुआरे को पाकिस्तान में फंसने पर उसे जल्दी मदद मिल सके।
इस मामले ने न केवल मछुआरों, बल्कि उनके परिवारों को भी चिंता में डाल दिया है, क्योंकि वे लंबे समय तक अपने प्रियजनों की सलामती के बारे में जानकारी पाने से वंचित हैं।