आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाने वाला लड्डू इन दिनों विवाद का केंद्र बना हुआ है। तिरुपति बालाजी के प्रसाद में पशु चर्बी और मछली के तेल की पुष्टि के बाद ये मामला और गंभीर होता जा रहा है।
वहीं, देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस मामले पर गहरी चिंता जताई है। रामनाथ कोविंद ने वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद संकाय के काया चिकित्सा विभाग द्वारा आयोजित भारतीय गाय, जैविक कृषि और पंचगव्य चिकित्सा संगोष्ठी में इस मामले पर अपना बयान दिया।
पूर्व राष्ट्रपति ने जताई चिंता
अपने संबोधन में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि, ‘पिछले तीन-चार दिनों से पूरे देश और विदेश में हमारे लोगों के मन में तिरुपति तिरुमला प्रसादम को लेकर गंभीर शंकाएं पैदा हुई हैं। मैं इस मुद्दे के राजनीतिक पहलू में नहीं जाना चाहता, लेकिन यह चिंता का विषय जरूर है कि प्रसाद की शुद्धता को लेकर श्रद्धालुओं के मन में संदेह पैदा हो रहा है।’
काशी विश्वनाथ के प्रसाद के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘अपने साथियों से प्रसाद लेते समय उन्हें तिरुपति तिरुमाला की घटना याद आ गई। यह समस्या सिर्फ तिरुपति तक सीमित नहीं है, बल्कि हर मंदिर और तीर्थ स्थल की कहानी हो सकती है। प्रसाद में मिलावट हिंदू शास्त्रों के अनुसार पाप है और इस विषय पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।’
पवित्रता बनी रहनी चाहिए
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि प्रसाद में मिलावट एक खतरनाक प्रवृत्ति है, जिसे तुरंत रोकने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मिलावट कहीं न कहीं हमारे धार्मिक स्थलों की प्रतिष्ठा और श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाती है।
इसे किसी एक स्थान की समस्या मानना सही नहीं होगा, यह एक व्यापक मुद्दा है जो हमारे समग्र धार्मिक और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर सकता है। रामनाथ कोविंद ने यह भी कहा कि इस मामले पर चर्चा और समाधान की दिशा में तत्काल कदम उठाना आवश्यक है ताकि हमारे धार्मिक स्थलों की पवित्रता और श्रद्धालुओं की आस्था बरकरार रहे।