दिल्ली/चंडीगढ़: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लोटस 300 प्रोजेक्ट मामले में दिल्ली, मेरठ, नोएडा और चंडीगढ़ समेत कई राज्यों में छापेमारी की है। इसी मामले में ईडी ने पूर्व आईएएस अधिकारी और नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह से जुड़े कई ठिकानों पर भी छापेमारी की है। छापेमारी के दौरान करोड़ों रुपये के हीरे, जवाहरात और नकदी बरामद की गई है। इस घोटाले में कई बड़े रियल एस्टेट डेवलपर्स को फायदा हुआ, जिससे सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हुआ।
बता दें, ईडी ने चंडीगढ़ में एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी के घर पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान अधिकारियों ने 1 करोड़ रुपये नकद, 12 करोड़ रुपये के हीरे और 7 करोड़ रुपये का सोना जब्त किया। जमीन घोटाला नोएडा अथॉरिटी की जमीन आवंटन के लिए कुख्यात 10% नीति पर आधारित है और सिंह पर आम्रपाली और सुपरटेक समेत कई बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों की मदद करने का आरोप है।
इस योजना पर आरोप लगाया गया था कि इसने डेवलपर्स को बहुत कम कीमतों पर जमीन खरीदने में सक्षम बनाया, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने रिपोर्ट दी है कि नोएडा प्राधिकरण ने 2005 से 2018 के बीच की अवधि में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की और अधिकारियों और बिल्डरों के बीच स्पष्ट मिलीभगत के सबूत पेश किए, जिससे सरकार को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कई प्लॉट उचित बोली प्रणाली का पालन किए बिना बेचे गए और कई मामलों में प्राधिकरण के मनमाने फैसलों से डेवलपर्स को फायदा हुआ। रिपोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि इस अवधि के दौरान लगभग 80% वाणिज्यिक भूखंड आवंटन केवल तीन फर्मों द्वारा सुरक्षित किए गए थे: इस कंपनी के प्रमुख प्रतिस्पर्धी वेव ग्रुप, 3 सी ग्रुप और लॉजिक्स ग्रुप हैं।