एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दलित संगठन नाराज, 21 अगस्त को भारत बंद का ऐलान

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नई दिल्ली: पिछले हफ्ते एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दलित संगठनों में अब काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है, जहां दलित संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए 21 अगस्त को भारत बंद का ऐलान किया है। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण को लेकर आरक्षण में सब-कोटा तय करने को मंजूरी दी थी। जहां कोर्ट ने कहा था कि अगर राज्य सरकारों को लगता है कि एससी और एसटी कैटेगरी में कोई जाति ज्यादा पिछड़ी है तो उसके लिए सब-कोटा तय किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था आरक्षण का लेयर

आपको याद दिला दें कि एससी-एसटी आरक्षण मामले में सुनवाई के दौरान 7 जजों की संवैधानिक बेंच ने 4-3 के बहुमत से कहा था कि एससी और एसटी में भी क्रीमी लेयर की पहचान होनी चाहिए। इस कैटेगरी में क्रीमी लेयर के तहत आने वाले लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। इसकी जगह इस समाज के गरीबों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देश में दो तरह की विचारधाराएं उभरने लगी हैं, जहां एक वर्ग ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं दूसरी ओर दलित समाज का एक बड़ा वर्ग इस पर नाराजगी जता रहा है।

21 अगस्त को भारत बंद का ऐलान

सुप्रीम कोर्ट का दलित संगठनों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है, जिसके चलते कई दलित संगठनों ने 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान भी किया है। इस मामले में बीएसपी प्रमुख मायावती के फैसले पर बात करते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि यह आरक्षण खत्म करने की साजिश है। इससे सरकारें अपनी मर्जी से किसी भी जाति को कोटा दे सकेंगी और उनके राजनीतिक हित पूरे होंगे। ऐसा फैसला ठीक नहीं है।

मायावती ने इसे साजिश बताया

सुप्रीम कोर्ट के क्रीमी लेयर का विरोध करते हुए बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा कि यह सही है कि दलित समाज के 10 फीसदी लोगों के पास पैसा आ गया है। वे पदों पर पहुंच गए हैं, लेकिन उनके बच्चों से आरक्षण का लाभ नहीं छीना जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि जातिवादी मानसिकता वाले लोगों की सोच अभी भी नहीं बदली है। पैसा मिलने के बाद भी समाज में स्वीकार्यता नहीं है। ऐसे में उनसे आरक्षण छीनना ठीक नहीं होगा। जानकारी के लिए बता दें कि चिराग पासवान और चंद्रशेखर रावण ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया है।

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