लखनऊ। भारत में पिछड़ी जातियों को कोटा दिया जाता है, हालांकि कोर्ट ने हाल ही में एक फैसला सुनाया जिसमें कोर्ट ने पाया कि पिछड़ी जातियों के अंदर भी जातियां है जो आज भी पिछड़ी हुई है, इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार यानी 1 अगस्त को जातियों को लेकर अहम फैसला सुनाया।
कोर्ट ने SC/ST जातियों में भी सब-कैटेगरी को इजाजत दी और कहा कि पिछड़ी जातियों में भी सब कैटेगरी कर कोटे के अंदर कोटा दिया जाए। साथ ही कई ऐसी जातियां हैं जो आज भी काफी पिछड़ी हुई है और कोटा के बावजूद वो आगे नहीं बढ़ पा रही है, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
1. सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक़ उत्पीड़न कुछ भी नहीं। क्या देश के ख़ासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है। अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?
— Mayawati (@Mayawati) August 2, 2024
SC के फैसले पर मायावती ने दी प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST श्रेणियों में ही सब-कैटेगरी (कोटे के अंदर कोटा) की वैधता पर फैसला सुना दिया। कोर्ट ने राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में सब-कैटेगरी यानी कोटे के अंदर कोटे की इजाजत दे दी है। जिसके बाद कोर्ट के इस फैसले से पूरे देश में हलचल मच गई है और सभी की प्रतिक्रिया सामने आने लगी है। इसी कड़ी में बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किया है।
जिसमें उन्होंने कहा है कि सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक उत्पीड़न कुछ भी नहीं। क्या देश के खासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है। अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?
मायावती ने साधा कांग्रेस व भाजपा पर निशाना
उन्होंने एक पोस्ट में लिखा है कि देश के एससी, एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों/सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं, वे इनके सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गयी होती।