Consumer Court: ड्राई क्लीनर ने साड़ी फाड़ दी, अब वह भरेगा 45000 रुपये का हर्जाना, कोर्ट का आर्डर आ गया है

बेंगलुरु: भारत का सिलिकॉन वैली कहे जाने वाले बेंगलुरु में ग्राहकों के पक्ष में एक बड़ा फैसला आया है। शहर की एक महिला को ड्राई क्लीनर की लापरवाही से भारी नुकसान उठाना पड़ा। उनकी 33 हजार रुपये की कीमती बनारसी साड़ी धुलाई और चरख के दौरान फट गई। उन्होंने कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उन्हें 45,000 रुपये का मुआवजा मिला। इसमें मुकदमेबाजी की लागत, मानसिक तनाव का हर्जाना और हर्जाने पर ब्याज भी शामिल है।

क्या हुआ था

बात दिसंबर 2022 की है। बेंगलुरु के चेलचेनहल्ली की रहने वाली अनुप्रभा भट्ट ने अपनी तीन साड़ियां जयनगर के Band Box आउटलेट में ड्राई क्लीनिंग और चरख के लिए दी थीं। इनमें 33,000 रुपये की एक नई बनारसी साड़ी भी शामिल थी, जो उन्होंने अपने बेटे की शादी के लिए दिल्ली से खरीदी थी। कंपनी ने इसके लिए 1,770 रुपये का बिल दिया, जिसका भुगतान कर दिया गया। लेकिन 12 दिसंबर को जब अनुप्रभा भट्ट ने अपनी साड़ियां वापस लीं, तो उनकी बनारसी साड़ी पूरी तरह से फटी हुई थी। यह देखकर वह बहुत परेशान हुईं।

कंपनी से की शिकायत

अनुप्रभा भट्ट ने इस घटना की कंपनी से शिकायत की, लेकिन कंपनी ने उनकी बात नहीं सुनी। उल्टा, कंपनी ने उन्हें एक और बिल थमा दिया। जब अनुप्रभा भट्ट ने साड़ी की कीमत वापस मांगी, तो कंपनी के एक कर्मचारी ने उन्हें आश्वासन दिया कि जनवरी 2023 तक उन्हें पैसे मिल जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अनुप्रभा भट्ट कई बार आउटलेट गईं, अनगिनत ईमेल और फोन कॉल किए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने 6 दिसंबर, 2023 को Band Box को एक कानूनी नोटिस भी भेजा, लेकिन कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया।

कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

निराश होकर अनुप्रभा भट्ट ने 26 दिसंबर, 2023 को जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, जिसे आम जनता कंज्यूमर कोर्ट कहती है, का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने आरोप लगाया कि Band Box में कर्मचारी अनस्किल्ड हैं। कर्मचारियों की लापरवाही के कारण उनकी कीमती साड़ी फट गई। Band Box के प्रतिनिधि ने इन आरोपों से इनकार किया। उन्होंने बताया कि साड़ियों की प्रेसिंग एक ऑटोमैटिक मशीन में की गई थी। इसलिए खराब मशीनरी और अकुशल कर्मचारियों का कोई सवाल ही नहीं उठता। कंपनी ने यह भी दावा किया कि साड़ी नई नहीं थी, उसकी गुणवत्ता खराब थी, इसलिए वह फट गई।

कोर्ट ने क्या माना

दोनों पक्षों की बात सुनने और सभी दस्तावेजों की समीक्षा करने के बाद, आयोग ने पाया कि फटी साड़ी की मरम्मत नहीं की जा सकती। कोर्ट में ड्राई क्लीन करने वाली कंपनी ने स्वीकार किया कि साड़ी बनारसी थी। साड़ी की जांच करने पर यह स्पष्ट था कि यह एक महंगी साड़ी थी। साड़ी को हुए नुकसान से साबित होता है कि सेवा में कमी थी।

कितने का मुआवजा मिला

आयोग ने यह भी नोट किया कि अनुप्रभा भट्ट साड़ी खरीदने की रसीद पेश नहीं कर सकीं। इसलिए, आयोग ने Band Box को साड़ी की अनुमानित कीमत के रूप में 25,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। इस राशि पर केस दर्ज होने की तारीख से 6% वार्षिक ब्याज भी देना होगा। इसके अलावा, कंपनी को सेवा में कमी और मामले को एक साल से अधिक समय तक लटकाने के कारण हुए मानसिक तनाव के लिए 15,000 रुपये और मुकदमेबाजी की लागत के रूप में 5,000 रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया गया। इस तरह अनुप्रभा भट्ट को कुल 45,000 रुपये का मुआवजा मिला।

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