संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के बीच, ग्रामीण क्षेत्रों में महिला प्रधान परिवारों की आय में पुरुष प्रधान परिवारों की तुलना में गर्मी के कारण औसतन आठ प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। दिल्ली के सीमापुरी इलाके में कूड़ा बीनते समय पसीने से लथपथ मजीदा बेगम कहती हैं, “यह जीवन-यापन का सवाल है।” भारत में लाखों महिलाओं की यह रोज़मर्रा की कहानी है, जो गर्मी और उमस दोनों की मार झेल रही हैं।
मजीदा करती है कचरे का काम
गैर सरकारी संगठन ‘ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया’ के साथ काम करने वाली सीमा भास्कर ने कहा कि पुरुष बेहतर कौशल के कारण द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों या ‘सेवा क्षेत्र’ की ओर बढ़ गए हैं, जबकि महिलाएं अभी भी असंगठित क्षेत्र में मजदूर के रूप में काम कर रही हैं। मजीदा (65) इसका जीता जागता उदाहरण हैं। मजीदा के पति 70 साल के हैं और वे इधर-उधर नहीं जा सकते और पूरी तरह से मजीदा की कमाई पर निर्भर हैं। मजीदा कचरे से दोबारा इस्तेमाल होने वाली चीजें छांटकर रोजाना 250 रुपये कमाती हैं, लेकिन जब वह बीमार होती हैं, तो काम पर नहीं जा पातीं।
मेरे काम पर निर्भर करता है मेरे रात का खाना
मजीदा ने कहा, “हम रात में खाना खाएंगे या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मैं पूरा दिन काम करती हूं या नहीं।” “इतने सालों में मैंने इतनी गर्मी कभी नहीं देखी। मैं गर्मी की वजह से बीमार पड़ गई और 15 दिनों तक काम नहीं कर पाई। मुझे दिल की बीमारी है, लेकिन मैं घर पर नहीं बैठ सकती,” उन्होंने कहा। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, महिलाएं पहले से ही औसतन पुरुषों की तुलना में 20 प्रतिशत कम कमाती हैं और भीषण गर्मी ने इस अंतर को और बढ़ा दिया है।
पानी की तलाश में तय करनी पड़ती है लंबी दूरी
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोकावाड़ा गांव की 28 वर्षीय बसंती नाग ने कहा कि उन्हें इस गर्मी में पहले कभी नहीं देखी गई मतली और सुस्ती का अनुभव हुआ और यह उन महिलाओं के लिए एक समस्या बन गई है, जिन्हें पानी की तलाश में लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। ग्रीनपीस इंडिया और नेशनल हॉकर्स फेडरेशन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि अप्रैल और मई में भीषण गर्मी के दौरान दिल्ली में आठ में से सात स्ट्रीट वेंडर उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे, जबकि मध्यम आयु वर्ग की महिलाएं भीषण गर्मी के कारण मासिक धर्म में देरी को लेकर चिंतित थीं।
रात को सोने में होती है परेशानी
सर्वेक्षण में भाग लेने वाली सभी महिलाओं ने कहा कि गर्मी के कारण उन्हें रात को सोने में परेशानी होती है और दिन भर थकान महसूस होती है। इस साल की गर्मी रोजमर्रा की जिंदगी को मुश्किल बना रही है। इतिहास की सबसे भीषण गर्मी में, देश में हीट स्ट्रोक के 40,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 100 से अधिक लोगों की गर्मी के कारण मौत होने की आशंका है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दिल्ली में 13 मई से लगातार 40 दिन तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया और इस साल गर्मी के कारण लगभग 60 लोगों की मौत हुई।