खनिजों पर टैक्स के सुप्रीम कोर्ट फैसले से केन्द्र सरकार को लगा झटका, जानें राज्यों को क्या होगा फायदा

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नई दिल्ली: खनिजों पर टैक्स को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच चल रहे विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि खनिजों पर लगाई जाने वाली रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता, खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने 8:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि संविधान के प्रावधानों के तहत संसद को खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं है।

क्या है पूरा मामला?

विभिन्न राज्य सरकारों और खनन कंपनियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 86 याचिकाएं दायर की गई थीं। इसमें कोर्ट को यह तय करना था कि राज्य सरकार को खनिजों पर रॉयल्टी और खदानों पर टैक्स लगाने का अधिकार होना चाहिए या नहीं सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 8 दिनों तक सुनवाई चली, सीजेआई ने कहा है कि खान एवं खनिज विकास एवं विनियमन अधिनियम (एमएमडीआर) राज्यों के कर वसूलने के अधिकारों को सीमित नहीं करता है। राज्यों को खनिजों और खदान भूमि पर कर लगाने का पूरा अधिकार है।

1989 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला

आपको बता दें कि यह मामला 1989 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। तब यह मामला तमिलनाडु सरकार बनाम इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड के बीच कोर्ट में था। इस मामले में सात जजों की बेंच ने कहा था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक टैक्स है। इसके बाद खनन कंपनियों, पीएसयू और अलग-अलग राज्यों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 86 याचिकाएं दायर की गईं। 2004 में पश्चिम बंगाल बनाम केसोराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

1989 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को गलत समझा गया

इस मामले में 5 जजों की बेंच ने कहा कि 1989 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को गलत समझा गया। कोर्ट ने कहा कि रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता। 1989 और 2004 के फैसलों में विरोधाभास होने के कारण यह मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने रॉयल्टी से जुड़े मामले को 9 जजों की बेंच को सौंप दिया था।

9 जजों की संवैधानिक बेंच ने सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुनाया है। 9 जजों की इस बेंच में जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज शामिल थे। इनमें से 8 जजों ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है। वहीं, एक जज बीवी नागरत्ना ने कहा कि राज्यों को टैक्स वसूलने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए।

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