नई दिल्ली। कई राज्यों में बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं और आज सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी हो तो भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसका घर नहीं गिराया जा सकता। ध्वस्तीकरण कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सिर्फ इसलिए किसी का घर कैसे गिराया जा सकता है कि वह आरोपी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि वह किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगा। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
जस्टिस गवई ने क्या कहा
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि अगर सरकार यह आश्वासन दे कि बुलडोजर न्याय के नाम पर कार्रवाई नहीं की जाएगी तो पूरा विवाद खत्म हो सकता है। जस्टिस गवई ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए किसी का घर कैसे गिराया जा सकता है कि वह आरोपी है? अगर वह दोषी साबित भी हो जाता है तो भी उसके घर को ऐसे ही नहीं गिराया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के पहले के रुख के बावजूद हमें सरकार के रुख में कोई बदलाव नहीं दिखता।
सिर्फ इसलिए किसी की संपत्ति पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता कि वह आरोपी है
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार ने अगस्त 2022 में हलफनामा दाखिल कर साफ कर दिया है कि सिर्फ इसलिए किसी की संपत्ति पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता कि वह आरोपी है। ऐसा सिर्फ नगर निगम कानून के उल्लंघन में ही किया जा सकता है। जिन जगहों पर कार्रवाई की गई है, वहां नोटिस जारी किए गए।
17 सितंबर को तोड़फोड़ की कार्रवाई के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की पुष्टि करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश तय करने का प्रस्ताव रखते हैं। कोर्ट ने कहा कि हम पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश जारी करेंगे। इसके लिए दोनों पक्षों को सुझाव देने को कहा गया है।ं