लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक की “आपत्तिजनक टिप्पणी” पर नाराजगी जताई है और कहा है कि सार्वजनिक रूप से दिए गए इस बयान के लिए विधायक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।
वंचित व शोषित समाज की महिलाओं के प्रति भाजपा नेताओं के दिल में कितनी कड़वाहट
अखिलेश यादव ने शुक्रवार रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक न्यूज चैनल पर “विमर्श” का 30 सेकंड का वीडियो क्लिप शेयर किया और लिखा, “उत्तर प्रदेश के एक भाजपा विधायक द्वारा राज्य की पूर्व महिला मुख्यमंत्री (मायावती) के खिलाफ इस्तेमाल किए गए अभद्र शब्दों से पता चलता है कि महिलाओं और खासकर वंचित व शोषित समाज की महिलाओं के प्रति भाजपा नेताओं के दिल में कितनी कड़वाहट है।”
राजनीतिक मतभेद अपनी जगह लेकिन अपनी गरिमा को भूले भाजपा नेता
अखिलेश यादव ने इसी पोस्ट में लिखा, “राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन एक महिला के रूप में उनकी गरिमा को धूमिल करने का अधिकार किसी को नहीं है।” उन्होंने कहा, ‘भाजपा नेता कह रहे हैं कि हमने उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर गलती की, यह लोकतांत्रिक देश में जनमत का अपमान भी है और बिना किसी आधार के यह आरोप लगाना भी बहुत आपत्तिजनक है कि वह सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री थीं।
भाजपा विधायक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए
‘सपा प्रमुख ने मांग की कि सार्वजनिक रूप से दिए गए इस बयान के लिए भाजपा विधायक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘भाजपा ऐसे विधायकों को आश्रय देकर महिलाओं की गरिमा को गहरी ठेस पहुंचा रही है। अगर भाजपा ऐसे लोगों के खिलाफ तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करती है, तो यह मान लेना चाहिए कि यह किसी एक विधायक की निजी राय नहीं बल्कि पूरी भाजपा की राय है।
अखिलेश यादव द्वारा शेयर किया वीडियो
बेहद निंदनीय!’अखिलेश यादव द्वारा शेयर किए गए न्यूज चैनल के वीडियो में मथुरा जिले के मांट क्षेत्र से विधायक राजेश चौधरी को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘मायावती जी चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है और पहली बार हमने (भाजपा ने) उन्हें मुख्यमंत्री बनाया है। बातचीत के दौरान कुछ बातें स्पष्ट नहीं हो पा रही हैं और इसके बाद चौधरी कह रहे हैं, ‘उत्तर प्रदेश में अगर कोई भ्रष्ट मुख्यमंत्री हुआ है तो उसका नाम मायावती है।’ सपा और बसपा एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी हैं।
हालांकि, 1993 के विधानसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच समझौता हुआ था, तब यह पहल बसपा संस्थापक कांशीराम और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने की थी। जून 1995 में लखनऊ के सरकारी गेस्ट हाउस में सपा और बसपा कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प के बाद यह समझौता टूट गया था। तब बसपा ने मायावती पर सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा हमला किए जाने का आरोप लगाया था।
सपा और बसपा के बीच कई बार हुआ समझौता टूटा
फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के बीच समझौता हुआ जिसमें उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से बसपा ने 10 और सपा ने 5 सीटें जीतीं, लेकिन 2019 में चुनाव परिणाम आने के बाद यह समझौता टूट गया और तब से दोनों दलों के नेता अक्सर एक दूसरे पर निशाना साधते रहे हैं। मायावती के प्रति अखिलेश यादव की इस नरमी के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।