नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने यूपीएससी लेटरल एंट्री का विज्ञापन रद्द करने का आदेश दिया है। पीएम मोदी के आदेश पर यह फैसला लिया गया है। इसके लिए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी यानी संघ लोक सेवा आयोग के चेयरमैन को पत्र लिखा है।
केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती यानी लेटरल एंट्री का विज्ञापन बंद किया जाना चाहिए। मंत्री ने आगे कहा कि सरकार ने लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत यह फैसला लिया है।
क्यों लिया गया फैसला
पत्र में कहा गया है कि ज्यादातर लेटरल एंट्री 2014 से पहले की हैं और एडहॉक स्तर पर की गई हैं। केंद्रीय कार्मिक मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का मानना है कि लेटरल एंट्री हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के समान होनी चाहिए। खासकर आरक्षण के प्रावधानों से कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।
Department of Personnel and Training Minister writes to Chairman UPSC on cancelling the Lateral Entry advertisement as per directions of Prime Minister Narendra Modi. pic.twitter.com/1lfYTT7dwW
— ANI (@ANI) August 20, 2024
क्या है ताजा विवाद
दरअसल, यूपीएससी ने कई सरकारी विभागों में विशेषज्ञों की भर्ती के लिए शनिवार को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया था। इन पदों में संयुक्त सचिव के 10 पद और निदेशक व उप सचिव के 35 पद शामिल हैं। ये पद अनुबंध के आधार पर लेटरल एंट्री के जरिए भरे जाने हैं। विपक्षी दलों ने लेटरल एंट्री के फैसले की तीखी आलोचना की और दावा किया कि इससे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण अधिकार कमजोर होंगे। इस पर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
लेटरल एंट्री को लेकर राहुल गांधी का आरोप
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपीएससी यानी संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के बजाय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के जरिए लोक सेवकों की भर्ती करके संविधान पर हमला कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव जैसे प्रमुख पदों पर ‘लेटरल एंट्री’ के जरिए 45 विशेषज्ञों की नियुक्ति की घोषणा की है। आमतौर पर अखिल भारतीय सेवाओं- भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFoS) और अन्य ग्रुप ए सेवाओं के अधिकारियों को ऐसे पदों पर नियुक्त किया जाता है।
UPSC लैटरल एंट्री क्या है
लैटरल एंट्री की अवधारणा किसी विभाग में उस क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति से संबंधित है। जिन्हें IAS की तरह परीक्षा नहीं देनी होती और सीधे नियुक्त कर दिया जाता है। इसलिए वे संबंधित विषय या विभाग के विशेषज्ञ होते हैं। इसलिए उनके पास पर्याप्त शिक्षा और विशेषज्ञता होती है। साथ ही, ये विशेषज्ञ अनुभवी लोग होते हैं और उनकी नियुक्ति अनुबंध पर होती है। जो बहुत ही कम अवधि के लिए होती है। यह केवल तीन से पांच साल के लिए होती है। इसमें चयन का माध्यम साक्षात्कार होता है।
लैटरल एंट्री कब शुरू हुई?
नौकरशाही में लैटरल एंट्री की अवधारणा सबसे पहले कांग्रेस सरकार के दौरान सामने आई थी। इसके बाद 2017 में नीति आयोग ने इसे अपने तीन साल के एजेंडे में शामिल किया और 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में पहली बार लैटरल एंट्री के लिए आवेदन मांगे गए, जिसमें कहा गया कि लैटरल एंट्री तीन से पांच साल के अनुबंध पर होगी।