लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक तरफ जहां सीएम योगी की कैबिनेट में सियासी गरमी है, वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी की चिंता भी बढ़ती जा रही है। जहां सोमवार से शुरू हो रहे विधानमंडल के मानसून सत्र में समाजवादी पार्टी कई मुद्दों पर राज्य सरकार को घेरेगी। सत्र से पहले रविवार सुबह सपा प्रदेश कार्यालय में सपा विधायकों और विधान परिषद सदस्यों की बैठक बुलाई गई है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आज की बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिसमें विधायक और एमएलसी के साथ ही नेता प्रतिपक्ष भी शामिल हैं। सपा प्रमुख रविवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की घोषणा भी कर सकते हैं। विधानसभा से उनके इस्तीफे के बाद नेता प्रतिपक्ष का पद अभी खाली है।
कौन होगा नेता प्रतिपक्ष
अखिलेश यादव ने इस बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद अभी खाली है। विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद अब तूफानी सरोज, इंद्रजीत सरोज, राम अचल राजभर के साथ ही अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में हैं।
मिली जानकारी के अनुसार मानसून सत्र को लेकर सपा विधानमंडल दल की बैठक में अखिलेश अपने विधायकों को ऐसे मुद्दे बताएंगे, जिन पर सरकार को घेरा जा सके। बलिया में ट्रकों से वसूली के मामले पर भी सपा सदन में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा सकती है।
अखिलेश के ज्ञापन में क्या है खास
जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ ने शनिवार को प्रदेश मुख्यालय में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत 2016 में सीएचओ का पद सृजित किया गया था। आयुष्मान भारत की नियमावली में साफ लिखा था कि सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का कैडर बनाकर 4800 ग्रेड-पे निर्धारित किया जाएगा और छह साल पूरे होने पर नियमितीकरण किया जाएगा।
भारत में न्यूनतम वेतन 25 हजार और कार्य प्रोत्साहन राशि 15 हजार रखने का नियम बनाया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार पहले से ही पांच हजार रुपये न्यूनतम वेतन दे रही है। यह बिहार और राजस्थान से भी कम है।