मंगला गौरी व्रत, जो सावन महीने के दौरान अमावस्या तिथि को रखा जाता है, अविवाहित महिलाओं के लिए मनचाहा वर प्राप्ति और सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान माना जाता है।
यहाँ कुछ खास बातें हैं जो इस व्रत को सफल बना सकती हैं:
1. कलश स्थापना
- सबसे पहले, मिट्टी का एक कलश स्थापित करें और उसमें गौरी माता की प्रतिमा रखें।
- कलश को गंगाजल, सुपारी, लाल चुनरी, मौली और फल-फूल से सजाएं।
- कलश के पास शिवलिंग भी स्थापित करें।
2. पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- मां गौरी और शिव जी की पूजा करें।
- 16 श्रृंगार अर्पित करें, धूप, दीप, नैवेद्य और फल चढ़ाएं।
- गौरी माता की कथा पढ़ें और मंत्र का जाप करें।
- व्रत का संकल्प लें।
3. व्रत के नियम
- इस दिन नमक, लहसुन, प्याज और मसालेदार भोजन का सेवन न करें।
- फलाहार करें और दिन भर जल पीते रहें।
- शाम को आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
- रात में जमीन पर सोएं।
4. कुछ खास उपाय
- गौरी माता को लाल चुनरी और लाल रंग की बिंदी अर्पित करें।
- शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं।
- मां पार्वती के मंत्र का 108 बार जाप करें।
- व्रत के दौरान धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
- दान करें और जरूरतमंदों की मदद करें।
मंगला गौरी व्रत पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ रखने से मां गौरी अवश्य ही आशीर्वाद देंगी और मनचाहा वर प्राप्ति में मदद करेंगी।
यह भी ध्यान रखें
- मंगला गौरी व्रत महिलाओं के लिए विशेष है, लेकिन पुरुष भी इस व्रत को अपनी पत्नी या मंगेतर के लिए रख सकते हैं।
- व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- मन में नकारात्मक विचार नहीं लाना चाहिए।
इस व्रत को सफलतापूर्वक करने से मां गौरी की कृपा प्राप्त होगी और सुखी वैवाहिक जीवन का सपना पूरा हो सकेगा।
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