अगर गर्मियों में पानी की कमी के कारण आपका गला लगातार सूख रहा है, चक्कर आ रहे हैं, आँखें लाल हो रही हैं या पेशाब पीला हो रहा है तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए ख़तरे की घंटी हो सकती है। आपके शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी से आपके स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं, इन प्रभावों को डिहाइड्रेशन यानी शरीर मे पानी की कमी कहा जाता है। इंडियन मेडिकल डॉ. का कहना है कि डिहाइड्रेशन की वजह से हालत गंभीर हो सकती है।
गर्मियां में लगातार पसीने के कारण न केवल शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है, बल्कि शरीर में नमक भी कम हो जाता है। अब ये सोच सकते हैं कि एसी में रहने से तो पसीना नहीं आता, लेकिन हर समय एसी में रहने से आपकी प्यास कम हो जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इसका आपके शरीर पर प्रतिकूल और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
निर्जलीकरण की समस्या के बारे में अधिक जानने के लिए बीबीसी मराठी ने स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों से बात की, देश के कई हिस्सों में तापमान 40 डिग्री से ज्यादा है। कुछ जगहों पर लोगों को लू का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ते तापमान में अगर शरीर की ठीक से देखभाल न की जाए तो स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। इसलिए, स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञ ज़रूरी देखभाल की बात करते हैं।
डिहाइड्रेशन कब होता है?
- अगर आप लंबे समय तक तेज़ धूप में रहे हैं तो हीट स्ट्रोक से डिहाइड्रेशन हो सकता है
- इसके अलावा, अगर समग्र तापमान अधिक है, तो यह एक समस्या है
- अगर आपको दस्त या कोई बीमारी है, तब भी आपके शरीर में पानी की कमी हो सकती है
- बहुत अधिक शराब या कैफीनयुक्त पेय पीने से शरीर में पानी कम हो जाता है
- ख़ूब व्यायाम करने से पसीना आने के बाद
- ऐसा तब भी हो सकता है, जब आपको बहुत अधिक पेशाब करवाने के लिए दवा दी गई हो
डिहाइड्रेशन के लक्षणों को ख़ुद कैसे पहचानें?
- अगर बहुत प्यास लग रही है
- अगर पेशाब गहरा पीला और तेज गंध वाला हो
- अगर आपको सामान्य से कम पेशाब आता है
- अगर आपको चक्कर आ रहा है
- आपको थकान महसूस हो सकती है
- अगर मुंह, होंठ, जीभ सूखी है
- अगर आंखें गहरी लग रही हैं
अगर आप ऐसे लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो आपको डिहाइड्रेशन होने की संभावना है, ऐसे में शरीर से पानी और नमक की कमी को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए और डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए। शरीर में पानी की कमी होने पर क्या होता है? बहुत से लोग सोचते हैं कि कैसे पहचानें कि शरीर में पानी कम हो गया है। इसका सबसे पहला संकेत हमारे पेशाब में दिखता है। अगर पेशाब पीला हो या, पेशाब का रंग लाल हो जाए तो इसका मतलब है कि शरीर में पानी की कमी हो गई है।
इस संबंध में डाॅ. अविनाश भोंडवे कहते हैं, “धूप में लगातार चलने या गर्म भट्टी के पास काम करने से न केवल शरीर में पानी कम होता है, बल्कि सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड और बाइकार्बोनेट जैसे अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा भी कम हो जाती है। अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो शरीर में मैग्नीशियम और कैल्शियम की मात्रा भी कम हो जाती है।”
एक वयस्क के शरीर में 60 से 70 प्रतिशत पानी होता है। डॉ. के मुताबिक़, “अगर पानी के इस स्तर में ज़्यादा अंतर हो तो हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। यानी खाया हुआ खाना पच नहीं पाता है। साथ ही व्यक्ति को दौरे भी पड़ सकते हैं। सांस लेने में दिक्क़त हो सकती है।”
डॉ आगे कहते हैं, ”इतना ही नहीं बल्कि यह भी डर रहता है कि अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो व्यक्ति की सांस और दिमाग पर असर पड़ेगा और उसकी मौत हो सकती है।” उनका ये भी कहना है कि पानी की कमी से त्वचा रूखी होने लगती है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक़, डिहाइड्रेशन सिर्फ़ कम पानी पीने से ही नहीं होता, बल्कि डायरिया के कारण भी शरीर में पानी की कमी हो जाती है। दस्त के दौरान पानी और नमक की मात्रा कम हो जाती है। इसके अलावा, विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी कहना है कि उल्टी, पसीना, मूत्र और सांस लेने से शरीर में साल्ट ख़त्म हो जाते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को सुस्ती, बेहोशी, आंखें धंसी हुई, पानी पीने की इच्छा नहीं होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ऐसी स्थिति डिहाइड्रेशन की गंभीर स्थिति हो सकती है।
ओआरएस कितना कारगर?
ओआरएस पैकेट में सोडियम क्लोराइड, पोटैशियम क्लोराइड, सोडियम साइट्रेट और ग्लूकोज होता है। डॉ. रेवत कानिंदे मुंबई से हैं। वो जे जे अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी हैं। वो कहते हैं, “अगर आप भीषण गर्मी में डिहाइड्रेशन से बचना चाहते हैं तो सिर्फ़ पानी पीने से काम नहीं चलेगा। पानी के साथ दूसरे तरल पदार्थों का भी सेवन करना होगा।”
डॉ. रेवत आगे कहते हैं कि, “अभी की भीषण गर्मी में ख़ूब पानी पीना ज़रूरी है। लेकिन शरीर की प्यास नहीं बुझती, शरीर में पानी की कमी को रोकने के लिए हमें शरबत, फलों का जूस, छाछ, कोकम शरबत जैसे तरल पदार्थ पीना चाहिए।” वो कहते हैं कि गन्ने के रस, मट्ठा में थोड़ा सा नमक मिलाकर पीने से भी शरीर को फ़ायदा होता है।
डॉ. रेवत का कहना है, “गर्मी के दौरान शरीर में पानी की उचित मात्रा बनाए रखना महत्वपूर्ण है. आमतौर पर हमारे शरीर का 70 प्रतिशत हिस्सा पानी होता है.”
शरीर को पानी की ज़रूरत होती है, ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार में बहुत सारा पानी पीना उचित नहीं है. इसलिए, विशेषज्ञों की सलाह है कि एकमात्र समाधान यह है कि प्यास लगने पर पानी पीना याद रखें.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी कहते हैं कि प्यास लगने पर एक बार में दो या तीन गिलास भी पीने से बचना चाहिए. पानी धीरे-धीरे पीना बेहतर है. अगर आप एक ही समय में बहुत अधिक पानी पीते हैं, तो पेट पर तनाव के कारण आपकी भूख कम हो जाएगी.
डॉ. की सलाह के अनुसार
- गर्मियों में बाहर का तैलीय खाना खाने से बचें
- खाना खाकर ही घर से निकलें या अपना डिब्बा साथ ले चलें
- खट्टे फल विटामिन सी के लिए अच्छे होते हैं। तरबूज, खरबूजा, संतरा, मौसम्बी, अंगूर, आम, अनार को आहार में शामिल करना चाहिए।
- आंवला, कोकम, कैरी में विटामिन ‘सी’, सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम जैसे तत्व भी होते हैं।
अगर बच्चों के शरीर में पानी कम हो जाए तो?
मौजूदा तेज़ गर्मी बड़ों के लिए भी उतनी ही परेशानी वाली है, जितनी बच्चों के लिए, अप्रैल-मई के महीने में स्कूल की छुट्टियाँ रहती हैं इसलिए बच्चे घर पर ही रहते हैं। फिर वे गर्मियों में खेलते हैं, ऐसे में उनके गर्मी से पीड़ित होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
खेलने जाने के बाद बच्चों को अपनी प्यास और भूख याद नहीं रहती, ये अनुभव आपके साथ भी रहेगा। फिर उसमें मौजूद गर्मी और पानी की कमी समस्या पैदा करना शुरू कर सकते हैं।
इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, ऐसा कहना है फरीदाबाद के अमृता हॉस्पिटल के डॉक्टर हेमंत ताहिलरमानी का, बच्चों में निर्जलीकरण को रोकने के लिए डॉ. हेमंत ताहिलरमानी कुछ समाधान सुझाते हैं।
जैसे:
- माता-पिता को पूरे दिन बच्चों के पानी पीने पर ध्यान देना चाहिए. जब बच्चे बाहर खेलने जाएं तो अपने साथ पानी की बोतल ले जाएं, उन्हें सीधे धूप में खेलने के लिए नहीं भेजा जाना चाहिए।
- अपने आहार में तरबूज, खीरा, संतरे और स्ट्रॉबेरी जैसे पानी वाले फल और सब्जियां शामिल करें।
- सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच बच्चों को धूप में खेलने के लिए भेजने से बचें।
- बच्चों को ढीले और हल्के रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
- अगर बच्चों के शरीर में पानी बहुत कम हो जाए तो उन्हें तुरंत ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट) देना चाहिए।