लखनऊ: 1090 चौराहे पर स्प्रिंग डेल कॉलेज, लखनऊ के छात्रों ने ‘डिजिटल दुनिया: क्या यह सिर्फ प्रकाशवृत है?’ विषय पर एक प्रभावशाली नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। यह आयोजन कॉलेज के वार्षिक जागरूकता सप्ताह के तहत हुआ, जो कॉलेज के संस्थापकों श्री बी. एस. सूद और श्रीमती कृष्णा सूद को समर्पित है। उन्होंने इस जागरूकता सप्ताह की शुरुआत की थी, जिसमें जरूरतमंदों को आवश्यक सामग्री प्रदान करने की पहल की गई थी। अब उनकी बेटियां, स्प्रिंग डेल संस्थानों की निदेशक , श्रीमती रीता खन्ना और श्रीमती संगीता मिधा, इस परंपरा को पिछले कई वर्षों से आगे बढ़ा रही हैं। इस वर्ष का थीम डिजिटल मीडिया के लाभ और खतरों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
स्प्रिंग डेल कालेज की डायरेक्टर रीता खन्ना ने इस मौके पर कहा,” हम काफी सालों से awareness week में इस तरह के कार्यक्रम करते आ रहे हैं ताकि हमारे बच्चे सिर्फ किताबी जानकारी में सिमट कर न रह जाए और उन्हें ऐसा प्लेटफार्म मिले जहा वो सोशल चेंज लाने में अपनी भूमिका निभाए और सोसायटी के प्रति अपना तर्तव्य भी निभा सकें।
जागरूकता सप्ताह का उद्देश्य
स्प्रिंग डेल कॉलेज हर साल एक विशेष जागरूकता सप्ताह का आयोजन करता है, जिसका प्रत्येक वर्ष अलग-अलग सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित होता है। इस वर्ष का थीम था ‘द फासिनेटिंग डिजिटल वर्ल्ड: इज़ इट ऑल सनशाइन?’ जिसका उद्देश्य डिजिटल मीडिया की चमक-दमक के साथ इसके संभावित खतरों के प्रति लोगों को जागरूक करना था। पिछले वर्षों में इस सप्ताह के दौरान पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति
नुक्कड़ नाटक की शुरुआत ‘आओ मिलकर देखें नुक्कड़’ की गूंज से हुई, जिसने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। छात्रों ने अपनी प्रभावशाली अदाकारी और संवादों के माध्यम से डिजिटल दुनिया के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया।
प्रारंभिक दृश्य में, एक छात्रा ने फोन पर व्यस्त रहते हुए अपनी मां की पानी की माँग को नजरअंदाज किया। माँ की शिकायतें और पुरानी यादें सजीव होते ही दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आज की पीढ़ी किस हद तक डिजिटल उपकरणों पर निर्भर हो गई है। “आज की युवा पीढ़ी डिजिटल उपकरणों की दुनिया में इतनी खो गई है कि वे वास्तविक जीवन की सरल सुख-सुविधाओं को नजरअंदाज कर रही हैं,” नाटक के एक संवाद में कहा गया।
एक अन्य दृश्य में, एक शिक्षक ने छात्रों को किताबों की महत्ता और वास्तविक ज्ञान की आवश्यकता पर जोर दिया, लेकिन छात्रों ने मोबाइल फोन की दुनिया को प्राथमिकता दी। शिक्षक ने सोशल मीडिया की खतरनाक वास्तविकता को उजागर करते हुए बताया कि कैसे लाइक, कमेंट और शेयर की होड़ में हम वास्तविक संबंधों और सांस्कृतिक मूल्यों को भूलते जा रहे हैं। “सोशल मीडिया की होड़ में हम वास्तविक जीवन की महत्वपूर्ण बातें और मानवीय संबंधों को भुला रहे हैं,” शिक्षक के संवाद ने दर्शकों को गहरे विचार में डाल दिया।
डिजिटल मीडिया के हंसते हुए प्रवेश ने सभी को चौंका दिया। उसने लॉकडाउन के दौरान डिजिटल मीडिया के उपयोग से लोगों को जोड़ने और समय पर सूचनाएं पहुंचाने के लाभों के बारे में बताया। हालांकि, उसने यह भी स्पष्ट किया कि डिजिटल मीडिया का सही उपयोग करना और इसके संभावित खतरों से बचना हमारे हाथ में है। “डिजिटल मीडिया ने हमे जोड़ा और सूचनाएं प्रदान कीं, लेकिन इसका गलत उपयोग हमारे लिए खतरनाक हो सकता है। इसे सही तरीके से इस्तेमाल करना हमारी जिम्मेदारी है,” यह संवाद दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर गया।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति ने 1090 चौराहे पर राहगीरों का ध्यान आकर्षित किया। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ छात्रों की प्रशंसा की और डिजिटल दुनिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के इस प्रयास को सराहा। “यह नाटक हमें डिजिटल मीडिया के दोहरे चेहरे के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। हमें इसकी चमक-दमक से अधिक सतर्क रहना चाहिए,” एक दर्शक ने कहा।
संदेश
नुक्कड़ नाटक के समापन पर छात्रों ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया: “डिजिटल दुनिया का जादू सबको भाया प्यारा, पर क्या सबकुछ सचमुच है यहाँ सुनहरा?” इस संदेश के माध्यम से उन्होंने लोगों को सचेत किया कि हर चमकती चीज सोना नहीं होती और डिजिटल दुनिया के इस भ्रम में खोने से बचने की अपील की।
“डिजिटल दुनिया की वास्तविकता को समझना और इसके सही उपयोग की दिशा में कदम बढ़ाना ही हमारी जिम्मेदारी है,” छात्रों का यह संदेश स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि डिजिटल मीडिया के फायदे और खतरों के बीच संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।
स्प्रिंग डेल कॉलेज के छात्रों का यह अनूठा प्रयास निश्चित रूप से लोगों को डिजिटल मीडिया के सही और सुरक्षित उपयोग के प्रति जागरूक करेगा और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मददगार साबित होगा। इस कार्यक्रम ने डिजिटल मीडिया के प्रति लोगों की सोच को एक नई दिशा दी और समाज में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।