भारत में बारिश की कमी: इस बार मानसून ने अजीबोगरीब रंग दिखाया। 2024 में कुछ जगहों पर बारिश प्राकृतिक आपदा बनकर टूटी, तो कुछ राज्यों में बारिश उम्मीद और औसत दोनों से कम रही। मौसम विभाग (IMD) की रिपोर्ट के मुताबिक जून-जुलाई में बारिश के पैटर्न में भारी असमानता देखने को मिली। बिहार, झारखंड, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और ओडिशा समेत नौ राज्यों में 20 से 49 फीसदी की भारी कमी देखने को मिली। वहीं, दक्षिणी प्रायद्वीप के चार राज्यों समेत छह राज्यों में 1 जून से 20 जुलाई के दौरान रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई।
कहां सबसे कम और कितनी बारिश राज्यवार?
मौसम विभाग (IMD) की राज्यवार रिपोर्ट देखें तो इस दौरान झारखंड में सबसे कम यानी 49 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई। जबकि इसी अवधि में तमिलनाडु में सबसे अधिक यानी सामान्य से 83% अधिक बारिश दर्ज की गई। सबसे कम बारिश वाले नौ राज्यों में झारखंड (49%), मणिपुर (47%), हिमाचल (41%), पंजाब (40%), हरियाणा (36%), जम्मू और कश्मीर (UT) (35%), मिजोरम (33%), नागालैंड (26%), बिहार (23%) और ओडिशा (20%) शामिल हैं।
संचयी वर्षा में 1% से अधिक की कमी
कुल मिलाकर, देश में संचयी वर्षा में 1% से अधिक की कमी आई है। 20 जुलाई तक, उत्तर-पश्चिम भारत में 14% की कमी दर्ज की गई, जबकि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 12% की कमी दर्ज की गई। क्षेत्रवार, मध्य भारत में वर्षा में कोई कमी नहीं आई, जबकि दक्षिणी प्रायद्वीप में अब तक सामान्य से 26% अधिक वर्षा दर्ज की गई है। जुलाई में कुछ दिनों की अच्छी वर्षा को छोड़कर, कुल मिलाकर वर्षा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रही।
कहीं बाढ़, कहीं सूखा!
असम से लेकर यूपी, बिहार और कई अन्य राज्यों के दर्जनों जिले बाढ़ के पानी से प्रभावित हैं, वहीं कई जिलों में कम बारिश ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। दक्षिण भारत में भी मानसून की बारिश की यह अनिश्चितता लोगों की समझ से परे रही। बड़े-बड़े मौसम विज्ञानी भी कम और ज्यादा बारिश के इस रहस्य को नहीं समझ पाए।
जल भंडार में बढ़ोतरी
जुलाई में देश के मानसून कोर जोन में सामान्य बारिश हुई। कई राज्यों के 150 प्रमुख जलाशयों के जल भंडार में सुधार देखा गया। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि 27 जून को इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता में 20% की बढ़ोतरी हुई। 18 जुलाई को यह बढ़कर 29% हो गई।