सेना के 30 जवानों पर गिरी गाज, हत्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट करेगा

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नई दिल्ली। नागालैंड में 30 सैन्यकर्मियों पर चलेगा केस सोमवार को नागालैंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की। जिसमें राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसके तहत 30 सैन्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी गई थी। नागालैंड पुलिस ने आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए एक ऑपरेशन के दौरान 13 नागरिकों की हत्या के आरोप में इन सैनिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

राज्य महाधिवक्ता ने पेश किया

याचिका दाखिल करते हुए राज्य के महाधिवक्ता जेबी पारदीवाला ने कहा कि पुलिस के पास अहम सबूत हैं, जो इन जवानों पर लगे आरोपों को साबित कर सकते हैं। केंद्र सरकार मनमाने ढंग से कार्रवाई करते हुए उन पर मुकदमा चलाने और मृतकों को न्याय मिलने से रोक रही है।

इस मामले में नागालैंड सरकार का असंतोष

इस संबंध में नागालैंड सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई टीम ने न तो विशेष जांच दल (राज्य पुलिस) द्वारा एकत्र किए गए सबूतों को देखा और न ही ठीक से जांच की। उन्होंने मनमाने ढंग से अपनी रिपोर्ट तैयार की और इन सेना के जवानों के खिलाफ कार्रवाई न करने का आदेश जारी कर दिया। याचिका के जवाब में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय को 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का नोटिस जारी किया।

क्या माजरा था?

साल 2021 में नागालैंड में सेना के जवानों द्वारा गलती से किए गए हमले के मामले में एक अधिकारी समेत 30 सैन्यकर्मियों को आरोपी बनाया गया है। एसआईटी जांच से पता चला कि सैनिकों ने हमले के दौरान निर्धारित एसओपी का पालन नहीं किया, जिससे 14 नागरिकों की मौत हो गई जो रात में एक पिकअप ट्रक में घर लौट रहे थे। इससे काफी विवाद और हंगामा हुआ।

राज्य सरकार ने कहा कि सेना ने बिना किसी पूछताछ के कोयला खदान श्रमिकों को ले जा रही एक कार पर गोलीबारी की। जिसमें कुल 6 लोगों की मौत हो गई। सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, बंदूकों से लैस और काले कपड़े पहने ये सभी लोग हमें देखकर तुरंत कार से बाहर कूद गए। इस घटना के बाद आसपास के ग्रामीणों और सेना के जवानों के बीच झड़प हो गई जिसमें 7 नागरिक और एक सैनिक की मौत हो गई।

राज्य सरकार का कहना है कि सेना के जवानों को इस इलाके की जानकारी नहीं है और यहां बंदूकें लेकर घूमना आम बात है। राज्य पुलिस की विशेष टीम द्वारा एकत्र किए गए सभी साक्ष्य केंद्र को भेजे गए थे।

साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इन जवानों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी

जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इन सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी क्योंकि इन सैनिकों की पत्नियों ने याचिका दायर की थी। उन्होंने एफआईआर को रद्द करने की भी मांग की, जिसके बाद नागालैंड सरकार ने केंद्र से मंजूरी लेने की कोशिश की, लेकिन केंद्र ने पिछले साल 28 फरवरी को मंजूरी देने से इनकार कर दिया। सोमवार को नागालैंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की। जिसमें राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी थी।

 

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