शरद पवार ने कहा एमवीए गठबंधन द्वारा कोई सीएम उम्मीदवार नहीं: लोकसभा चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल बढ़ने लगी है। मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में चर्चा शुरू हो गई है। शिवसेना (यूबीटी) का कहना है कि एमवीए को अगले चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश करना चाहिए। तब एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने इसे खारिज कर दिया था और कहा था कि गठबंधन का सामूहिक चेहरा होना चाहिए।
एक व्यक्ति हमारे गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं हो सकता
शरद पवार कोल्हापुर में पत्रकारों से बात कर रहे थे। इसी दौरान उनसे पूछा गया कि संजय राउत ने उद्धव ठाकरे को एमवीए के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर पेश करने की बात कही है। तब पवार ने जवाब दिया कि हमारा गठबंधन हमारा सामूहिक चेहरा है। कोई भी एक व्यक्ति हमारे गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं हो सकता। सामूहिक नेतृत्व हमारा आदर्श वाक्य है। इस पर हमारे तीनों गठबंधन सहयोगियों के साथ चर्चा की जाएगी और फिर कोई निर्णय लिया जाएगा।’
बिना मुख्यमंत्री पद के चेहरे के महाराष्ट्र चुनाव में जाना खतरनाक होगा
संजय राउत ने 29 जून को कहा था कि एमवीए के जरिए मुख्यमंत्री का चेहरा पेश करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बिना महाराष्ट्र चुनाव में जाना एमवीए के लिए खतरनाक होगा। इससे पहले उन्होंने कहा था कि ठाकरे ने कोविड महामारी के दौरान राज्य को संभाला है। उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता के कारण लोगों ने एमवीए को वोट दिया। बिना चेहरे के चुनाव में जाने से हमें कोई फायदा नहीं होगा।
सभी मोदी विरोधियों को एमवीए में शामिल होना चाहिए
शरद पवार ने वाम दलों से एमवी गठबंधन में शामिल होने को कहा। पवार ने सभी वामपंथी दलों और नरेंद्र मोदी का विरोध करने वालों को एमवीए में शामिल होने की सलाह दी है। पवार ने कहा कि भारतीय किसान एवं मजदूर पार्टी, आप और कम्युनिस्ट पार्टियों ने हालिया लोकसभा चुनाव में हमारी मदद की। हालाँकि वर्तमान में एमवीए में तीन पार्टियाँ शामिल हैं, हमें इन सभी पार्टियों को शामिल करना चाहिए। सभी मोदी विरोधियों को एमवीए में शामिल होना चाहिए।
एनसीपी के जयंत पाटिल ने भी मुख्यमंत्री पद को लेकर बयान दिया। पाटिल ने कहा कि एमवीए के सहयोगियों को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा करने से बचना चाहिए। इसके बजाय इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि राज्य में सत्ता कैसे हासिल की जा सकती है।