भगवान जगन्नाथ को मगन प्रसाद चढ़ाना एक प्राचीन परंपरा है, जिसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण मौजूद हैं।
धार्मिक मान्यताएं:
- भगवान का भोग: मगन प्रसाद को भगवान जगन्नाथ का भोग माना जाता है। भक्तों का मानना है कि भगवान को भोग लगाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- नीलांचल की विशेषता: मगन प्रसाद में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी, जिसे “नीलांचल की लकड़ी” कहा जाता है, को पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि यह लकड़ी भगवान जगन्नाथ की रक्षा करती है और मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखती है।
- चावल का महत्व: चावल को लक्ष्मी जी का प्रतीक माना जाता है। भगवान जगन्नाथ को मगन प्रसाद में चावल चढ़ाने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और समृद्धि आती है।
वैज्ञानिक कारण:
- पाचन क्रिया में सुधार: मगन प्रसाद में उपयोग होने वाली सामग्री, जैसे कि चावल, दाल, सब्जियां, और मसाले, पाचन क्रिया के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं।
- पौष्टिक भोजन: मगन प्रसाद सभी आवश्यक पोषक तत्वों, जैसे कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज से भरपूर होता है।
- संक्रमण से बचाव: मगन प्रसाद को धूप में पकाया जाता है, जिससे उसमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।
- तनाव कम करना: भोजन पकाने और प्रसाद वितरित करने की प्रक्रिया में भाग लेने से तनाव कम होता है और सामाजिक भावना बढ़ती है।
नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Speed News के Facebook पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें...